Himachal Monsoon News: हिमाचल प्रदेश में हुई भारी बारिश ने जमकर तबाही मचाई है. शांत रहने वाले पहाड़ों का रौद्र रूप देखकर हर किसी का दिल दहल गया. अपने स्थान पर कलकल बहने वाली हिमाचल प्रदेश की शांत नदियों ने भी ऐसा रौद्र रूप दिखाया, जिससे प्रदेश सरकार को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. भारी बारिश की वजह से हिमाचल प्रदेश को 4414.95 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. इसमें जल शक्ति विभाग को 1411.78.58 करोड़ रुपये, लोक निर्माण विभाग को 1261.89 करोड़ रुपये, बिजली विभाग को 1382.57 करोड़ रुपये, बागवानी विभाग को 75.27 करोड़ रुपये, शहरी विकास विभाग को 6.47 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है.


अब तक 117 लोगों की गई जान
इसके अलावा भारी बारिश की वजह से अब तक 117 लोगों की जान जा चुकी है. प्रदेशभर में बारिश की वजह से 481 घर पूरी तरह तबाह हो गए, जबकि 3 हजार 863 को आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा. बारिश के कारण 133 दुकानें और 1008 पशु घर तबाह हुए, जबकि 935 जानवरों को भी जान गवानी पड़ी. 24 जून से अब तक हिमाचल प्रदेश में 53 भूस्खलन और 41 अचानक बाढ़ आने की घटनाएं रिकॉर्ड की जा चुकी हैं.


आठ हजार करोड़ से ज्यादा के नुकसान का आकलन
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल प्रदेश पर 75 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है. प्रदेश सरकार के पास बारिश के नुकसान का चार हजार करोड़ रुपये का ब्योरा पहुंच चुका है. मुख्यमंत्री का मानना है कि यह नुकसान आठ हजार करोड़ तक पहुंच सकता है. हाल ही में प्रदेश को राहत के लिए केंद्र सरकार की ओर से 180-180 करोड़ रुपये की दो किस्त जारी हुई है. यह स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड की राशि है. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आपदा राहत कोष- 2023 का भी गठन किया है.


इस कोष में भी लोग बढ़-चढ़कर योगदान कर रहे हैं. कांग्रेस के सभी विधायकों ने अपनी एक महीने की सैलरी इस कोष में दान कर दी है. इसके अलावा सरकारी कर्मचारी भी अपने एक दिन का वेतन इस कोष में दान कर रहे हैं. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बढ़-चढ़कर राहत कोष में दान करने की मांग की है. सरकार ने हाल ही में डीजल पर भी तीन रुपये वैट बढ़ा दिया है, जिससे सरकार का खाली हो रहा खजाना भर सकेगा.


हिमाचल को पटरी पर लौटने में लगेगा वक्त
भारी बारिश की वजह से हिमाचल प्रदेश की व्यवस्था डिरेल हो गई है. आने वाले दिनों में हिमाचल प्रदेश को वापस पटरी पर लौटने में काफी वक्त लगेगा. प्रदेश में ऐसी तबाही हुई, जिसे आज से पहले इतिहास में कभी किसी ने नहीं देखा. आधुनिकता के इस दौर में भले ही जीवन दोबारा दौड़ना शुरू हो गया हो, लेकिन अभी भी पटरी पर लौटा नहीं है. प्रदेश का पर्यटन कारोबार बुरी तरह प्रभावित है. हिमाचल प्रदेश के ऊपरी इलाकों में सेब सीजन सिर पर है. सड़कें टूटी पड़ी है और सरकार पर सेब सीजन को सफलतापूर्वक पूरा करने का बड़ा दबाव है. ऐसे में सवाल यह है कि सरकार आखिर बड़े नुकसान के बीच डिरेल हो चुकी व्यवस्था को पटरी पर कैसे लौटाएगी?


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