Himachal Pradesh Politics: भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष और कांगड़ा-चंबा लोकसभा क्षेत्र से सांसद डॉ. राजीव भारद्वाज ने गुरुवार को राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल से मुलाकात की. इस दौरान उनके साथ बीजेपी उपाध्यक्ष संजीव कटवाल, डॉ. राजीव सैजल, हिमाचल बीजेपी के मीडिया प्रभारी करण नंदा, प्रवक्ता चेतन बरागटा और कोषाध्यक्ष कमल सूद मौजूद रहे.
डॉ. राजीव भारद्वाज की इस मुलाकात के बाद से हिमाचल प्रदेश के सियासी बाजार में चर्चाओं का दौरा तेज हो गया है. हालांकि राजीव भारद्वाज ने इसे उनके सांसद बनने के बाद राज्यपाल से एक शिष्टाचार मुलाकात बताया है, लेकिन इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं.
सियासी बाजार में चर्चाओं का दौर तेज
बुधवार को ही हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार को बड़ा झटका दिया है. हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति बिपिन चंद्र नेगी की डबल बेंच ने मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को असंवैधानिक करार दिया है. साथ ही सभी मुख्य संसदीय सचिवों को तत्काल प्रभाव से पद छोड़ने के आदेश जारी किए हैं. हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने संसदीय सचिव एक्ट-2006 को रद्द किया है. इसके बाद से ही हिमाचल प्रदेश की सियासत में माहौल एक बार फिर बदल चुका है.
सांसद ने मांग पूर्व मुख्य संसदीय सचिवों का इस्तीफा
राजभवन के बाहर मीडिया के साथ बातचीत के दौरान डॉ. राजीव भारद्वाज ने कहा कि वह शिष्टाचार मुलाकात के लिए राजभवन पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय की ओर से मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को लेकर जो फैसला आया है, वह ऐतिहासिक है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने जब से मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति की थी, तब से ही बीजेपी लगातार इसका विरोध कर रही थी. उन्होंने कहा कि इससे राज्य की जनता खजाने पर भी अतिरिक्त पहुंच पड़ रहा था.
उन्होंने कहा कि अब तक मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति के बाद जो भी सरकारी धन खर्च हुआ है, उसे वापस सरकारी खजाने में डालना चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने जनता की कमाई का दुरुपयोग किया है. राजीव भारद्वाज ने कहा कि भले ही कांग्रेस सरकार अब उच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कर रही हो, लेकिन वहां भी उनकी यह याचिका टिकने वाली नहीं है. राजीव भारद्वाज ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रहे सभी विधायकों को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए.