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'राजीव गांधी की दूरदर्शिता से भारत में...', सद्भावना दिवस पर बोले CM सुखविंदर सिंह सुक्खू
Shimla News: राजीव गांधी की 80वीं जयंती पर याद किया गया. 40 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बने सबसे कम उम्र के थे। 1991 में उनकी हत्या कर दी गई. उनकी दूरदर्शिता से भारत में डिजिटल क्रांति आई.
Rajeev Gandhi Birth Anniversary: देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आज 80वीं जयंती है. उनका जन्म 20 अगस्त 1944 को हुआ था. साल 1984 में उनकी मां और तब देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी की राजनीति में अनायास ही एंट्री हुई थी. वे साल 1984 से लेकर साल 1989 तक देश के प्रधानमंत्री रहे. साल 1991 में 21 मई के दिन धोखे से उनकी हत्या कर दी गई.
राजीव गांधी भारत देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे. वे सिर्फ 40 साल की उम्र में देश के प्रधानमंत्री बन गए थे. राजीव गांधी की जयंती के मौके पर शिमला में राज्य सचिवालय के नजदीक स्थापित उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई. उनकी जयंती को सद्भावना दिवस के रूप में मनाया जाता है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश सचिवालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को सद्भावना दिवस शपथ भी दिलवाई.
'राजीव गांधी की दूरदर्शिता से भारत में डिजिटल क्रांति'
इस दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राजीव गांधी की दूरदर्शिता की वजह से ही आज भारत सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी देश बनकर उभरा है. उन्होंने कहा कि अमेरिका ने जब भारत की सुपर कम्प्यूटर की मांग को ठुकराया, तब उनके सशक्त नेतृत्व ने देश ने सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए निर्णायक कदम उठाए. लोकतांत्रिक प्रक्रिया में महिलाओं के अधिकारों की उन्होंने पुरजोर वकालत की और पंचायती राज संस्थाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण दिया गया.
वोटिंग की उम्र 21 साल से घटाकर 18 साल की
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राजीव गांधी को राष्ट्र आधुनिक भारत निर्माता के रूप में जानता है. प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने लोगों और समाज की सोच को बदलने के लिए अनेक दूरदर्शी निर्णय लिए. गौर हो कि राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए हिमाचल प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के राज्य अध्यक्ष थे. एनएसयूआई की मांग पर ही राजीव गांधी ने युवाओं के मताधिकार की उम्र को 21 साल से घटाकर 18 साल की थी, ताकि देश का युवा लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित कर सके. इस कदम को उनके कार्यकाल की बड़ी उपलब्धि के तौर पर भी देखा जाता है.
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अनिल चमड़ियावरिष्ठ पत्रकार
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