Raksha Bandhan 2024: हर साल रक्षाबंधन का पवित्र पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. पवित्र त्योहार पर बहनें अपने भाइयों की कलाई में रक्षा सूत्र बांधती हैं. इसे आम बोलचाल में राखी बांधना कहा जाता है. बहन रक्षा सूत्र बांधकर भाई से अपनी सुरक्षा और विश्वास का वादा लेती हैं. सनातन धर्म में पवित्र कार्य करने के लिए शुभ मुहूर्त का जानना जरूरी होता है. इस साल रक्षाबंधन का पर्व 19 अगस्त दिन सोमवार को मनाया जायेगा.


राखी बांधने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:32 से शाम 4:25 तक होगा. शिमला स्थित कृष्ण मंदिर के पुजारी पंडित शंभू प्रसाद नौटियाल ने बताया है कि शुभ मुहूर्त में बहनें अपने भाई के दाएं हाथ की कलाई में रक्षा सूत्र बांध सकती हैं. सनातन धर्म में भद्रा के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता. सोमवार को भद्रा सुबह सूर्योदय से पहले लग जाएगी और दोपहर 1:30 बजे तक रहेगी. इस अवधि में भाई की कलाई में राखी बांधना वर्जित है. हालांकि अगर किसी कारणवश इस पवित्र मुहूर्त में रक्षा सूत्र नहीं बांधा जा सकता है तो भद्रा पुंछ में सुबह 9:51 बजे से 10:54 बजे तक भी रक्षा सूत्र बांधा जा सकता है. ऐसा केवल अपरिहार्य स्थिति में ही करें. भद्रा मुख में सुबह 10:54 बजे के बाद दोपहर 12:38 बजे तक रक्षा सूत्र बांधना बिलकुल निषेध होगा.


रक्षाबंधन पर महिलाओं को सौगात


रक्षाबंधन पर हिमाचल प्रदेश में सभी महिला कर्मचारियों के लिए छुट्टी की घोषणा की गयी है. हिमाचल पथ परिवहन निगम ने भी महिला यात्रियों को सौगात दी है. मैनेजिंग डायरेक्टर रोहन चंद ठाकुर के मुताबिक हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में महिलाओं को टिकट का शुल्क नहीं देना होगा. महिलाएं सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में मुफ्त सफर कर सकती हैं. रोजाना सफर के लिए पहले ही राज्य सरकार की ओर से महिला यात्रियों को 50 फीसदी की छूट का प्रावधान है.


भद्रा काल पंचाग में ऐसा समय होता है, जिसे शुभ नहीं माना जाता. इस दौरान शुभ कार्य करने पर मनाही होती है. भद्रा न्याय के देवता शनि देव की बहन हैं और सूर्य देव व माता छाया की पुत्री हैं. इनका स्वभाव क्रोधी है और उनका स्वरूप भयानक है. पौराणिक कथा के अनुसार, भद्रा जन्म लेते ही संसार को खाने के लिए दौड़ पड़ी. यज्ञों को नष्ट कर दिया. मंगल कार्यों में उपद्रव करने लगी और सारे जगत को पीड़ा पहुंचाती. ऐसे में उसके दुष्ट स्वभाव और विकराल रूप को देकर सूर्यदेव को ये चिंता सताने लगी कि आखिर इस कुरूप कन्या का विवाह कैसे होगा.


विवाह योग्य होने पर जब सभी देवताओं ने भद्रा के विवाह का प्रस्ताव ठुकरा दिया. तब सूर्य देव ब्रह्माजी की शरण में पहुंचे. ब्रह्माजी ने भद्रा को आशीर्वाद दे दिया कि जहां मांगलिक और शुभ कार्य होते हैं, वहां तुम्हारा निवास स्थान होगा. हे भद्रा! तुम बव, बालव, कौलव, तैतिल आदि करणों के अंत में सातवें करण के रुप में स्थित रहो. इस तरह ब्रह्माजी ने भ्रदा को समय का एक भाग दे दिया. भद्रा ने ब्रह्माजी की यह बात मान ली और समय के एक अंश में विराजमान हो गई, इसलिए किसी भी शुभ काम का आरंभ भद्रा काल में नहीं किया जाता है. मान्यता है कि भद्रा काल में किए गए मांगलिक कार्य कभी सफल नहीं होते.


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