शिमला जो अपने प्रसिद्ध मॉल रोड, बाजार और छोटी-छोटी गलियों कि वजह से जाना जाता है उस शहर को मल्टी-स्टेशन रोपवे की सौगात मिलने जा रही है. इसके लिए पिछले महीनें केंद्र के आर्थिक कार्य विभाग ने एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी तैयार कर ली है. इस प्रोजेक्ट पर 1546 करोड़ रुपयों का खर्च आ सकता है. अधिकारियों ने बताया कि इसके लिए भूमी से जुड़ी जांच भी पूरी कर ली गई है और सभी स्टेशनों के लिए जमीन की पहचान भी कर ली गई है. शिमला में बनने वाले रोपवे के साथ 15 स्टेशन (14.69 किलोमीटर) पांच लाइनों में बनाए जाएंगे.
42 लाख से ज्यादा पर्यटक हर साल आते हैं घूमने
पहली ब्लू लाइन होगी जो 3.67 किलोमीटर की होगी. 4.67 किलोमीटर में ग्रीन लाइन, 2.9 मेजेंटा लाइन, 2.1 और रेड 2.5 किलोमीटर में होगी. रोपवे प्रोजेक्ट के पहले फेज में महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल को कवर किया जाएगा. इस समय शिमला की जनसंख्या 3 लाख के आस पास है. वहां बड़ी संख्या में निजी वाहन, बस खड़ी होती हैं, लेकिन मार्च से जून के टूरिस्ट सीजन में कारों और ट्रकों की लंबी कतारे लग जाती हैं.सरकारी आंकड़ो के मुताबिक शिमला में इस साल अप्रैल तक 70,937 रजिस्टर्ड वाहन थें. तकरीबन 42 लाख पर्यटक पर साल हिमाचल प्रदेश घूमने आते हैं इनमें से 70 प्रतिशत पीक सीजन के दौरान आते हैं. इस दौरान वाहनों की संख्या 4 लाख तक पहुंच जाती है.
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शहरी विकास, नगर नियोजन और आवास मंत्री सुरेश ने कहा कि यातायात के इस साधन को अपनाने से जगह खाली हो जाएगी. अंग्रेजो के जमाने में शिमला में घोड़े की सवारी और हाथ से चलने वाला रिक्शा ही चलता था. समय बीतने के साथ जनसंख्या बढ़ी लेकिन जगह नहीं. रोड को बढ़ाने के बाद भी कई लोग घरों के सामने कार खड़ी कर देते हैं. रोपवे के द्वारा यातायात में सुलभ हो जाएगा.रोपवे तारादेवी, आईएसबीटी, कासुमप्ति, मॉल रोड, लिफ्ट प्वाइंट, संजौली और सचिवालय के इलाकों को कवर करेगा.आईएसबीटी से संजौली ब्लू लाइन सबसे बड़ी होगी जिसमें 6 स्टेशन आएंगे. लिफ्ट प्वाइंट से लेकर सचिवालय तक रेड लाइन सबसे छोटी होगी. अधिकारियों ने बताया कि ग्रीन और ब्लू लाइन में पर्यटकों को कवर किया जा सकेगा. सुत्रों के मुताबिक चुनाव को देखते हुए सरकार बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को विकसित करने पर जोर दे रही है. सराकार ने पूरे प्रदेश में रोपवे प्रोजेक्ट के 5000 करोड़ जारी किए हैं. सरकारी कंपनी रोपवे और तीव्र परिवहन प्रणाली विकास निगम के हाथ में इस रोपवे प्रोजेक्ट का जिम्मा है. शिमला में रोपवे बनने के बाद कुल्लू, चंबा, सोलन और कांगरा में रोपवे बनाए जाएंगे.
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