Peace March In Shimla: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में शुक्रवार (27 सितंबर) को 'शिमला फॉर पीस एंड हार्मनी' ने सद्भावना मार्च का आयोजन किया. इस मार्च में शहर भर के करीब 300 लोगों ने हिस्सा लिया. सद्भावना मार्च के जरिए शहर के लोगों को शांति बनाए रखने के साथ आपसी सद्भाव और भाईचारे का संदेश दिया गया. सद्भावना मार्च में शहर के लोगों के साथ रिटायर्ड जज और रिटायर्ड आईएएस भी शामिल हुए. ये मार्च ऐसे समय में निकाला गया है जब यहां संजौली मस्जिद को लेकर काफी विवाद हुआ था.


सद्भावना मार्च में लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की गई. सद्भावना मार्च शिमला के डीसी ऑफिस से होता हुआ पहले नाज चौक पहुंचा. इसके बाद सद्भावना मार्च पर स्थापित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा तक ले जाया गया. यहां लोगों ने मिलकर सांप्रदायिक सौहार्द की शपथ ली.


शिमला में शांति बनाए रखने की अपील
शिमला नगर निगम के पूर्व मेयर संजय चौहान ने कहा कि शिमला शहर में हमेशा से ही शांति बनी रही है. कुछ लोगों के बीच आपसी लड़ाई हुई और फिर धीरे-धीरे इस पूरे मामले को सांप्रदायिक रंग दे दिया गया. उन्होंने सभी लोगों से अपील की है कि वह शांति बनाए रखें. उन्होंने कहा कि नगर निगम शिमला का 175 साल पुराना इतिहास है और इसके इतने लंबे इतिहास में कभी इस तरह की घटना नहीं हुई. उन्होंने कहा कि भविष्य में भी शिमला में आपसी सद्भाव बना रहे, इसके लिए सभी लोगों को आगे आने की जरूरत है.


मस्जिद मामले में कानून सम्मत कार्रवाई हो- मो. इस्लाम
शिमला के रहने वाले मोहम्मद इस्लाम में भी सद्भावना मार्च में हिस्सा लिया. मोहम्मद इस्लाम ने कहा कि वह लगभग 35 सालों से यहां पर रह रहे हैं. शिमला में हमेशा से ही शांति का माल रहा है. अब भी शिमला में उन्हें किसी तरह का कोई डर महसूस नहीं होता. उन्होंने सभी लोगों से सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की अपील की है.


मोहम्मद इस्लाम ने कहा कि बीते कुछ दिनों से बड़े तनाव के चलते सब कारोबार और पर्यटन कारोबार भी प्रभावित हुआ है. उन्होंने कहा कि अगर मस्जिद का कोई हिसाब अवैध है, तो कानून अपनी कार्रवाई कर सकता है. सभी कानून सम्मत कार्रवाई के पक्ष में हैं.


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