Sadiyala Festival: भारतीय संस्कृति आस्था और परम्पराओं में गुथी हुई है. देश के कोने-कोने में स्थानीय देव परंपरा हैं और उनसे जुड़े त्योहार बेहद उत्साह के साथ मनाए जाते हैं. ऐसा ही एक उत्सव है सदियाला. यह त्योहार देव आस्था से जुड़ा है और बीते कई सालों से मनाया जा रहा है. इस अनोखी और रोचक परंपरा के बारे में जानने के लिए आपको जिला कुल्लू की दुर्गम और खूबसूरत घाटियों से गुजरना होगा. जहां आज भी इस परंपरा को पूरी आस्था और उत्साह के साथ मनाया जाता है.




माघ महीने में कुल्लू की घाटियों में सदियाला की धूम 

माघ महीने में पहाड़ों पर खूब स्थानीय त्योहार मनाए जाते हैं. इसी समय हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू के विभिन्न क्षेत्रों गडसा घाटी के हवाई और शियाह गांव, धार्मिक नगरी मणिकर्ण घाटी के शारानीबेहड़ समेत कई हिस्सों में सदियाला मनाया जाता है. परंपरा है कि सदियाला उस क्षेत्र के स्थानीय देवी-देवता के सम्मान में मनाया जाता है. हवाई और शियाह इलाकों में सदियाला जमदग्नि ऋषि को समर्पित है, जिन्हें स्थानीय बोली में जमलू ऋषि कहा जाता है. वहीं शारानीबेहड़ में माता रूपासना और ड्ढेई में माता कैलाशना के सम्मान में भी सदियाला पर्व मनाया जाता है. इसके अलावा बाखली गांव में सदियाला आदिब्रह्मा खोखन को समर्पित है.

 


 

दहकते अंगारों पर मशाल लेकर नाचते हैं लोग 

सदियाला पर्व क्षेत्र वासियों के लिए बेहद महत्व रखता है. सर्दियों के समय में माघ महीने में आने वाला यह त्यौहार स्थानीय लोगों और उनके देवी-देवताओं के बीच के बंधन का प्रतीक है. इस दौरान ग्रामीण कई सदियों पुरानी परंपराओं में भी शामिल होते हैं. बाहर से देखने पर यह परंपरा विचित्र और अनोखी नजर आती है, लेकिन ग्रामीणों के लिए यह गहरी आस्था का विषय है. इस दौरान कई ग्रामीण लोग नाचते हुए दहकते अंगारों पर कूद पड़ते हैं, तो कई मशाल हाथों में लिए झूमते नज़र आते हैं. आस्था में डूबे गांव के लोग अंगारों पर तब तक नाचते रहते हैं, जब तक आग बुझ नहीं जाती. 

 

खुलेआम अश्लील जुमले कहना, पुरानी परंपरा का है हिस्सा 

इस दौरान ग्रामीण स्थानीय गीतों पर नाचते और झूमते हैं. गांव के लोग अपने आराध्य ईष्ट को याद भी करते हैं. सदियाला की एक विशेषता यह भी है कि इस दौरान लोग अश्लील जुमले भी बोलते हैं. ऐसा माना जाता है कि इन गालियों से बुरी शक्तियों को भगाया जाता है. यह अश्लील जुमले स्थानीय बोलियों में होते हैं और स्थानीय लोगों की संस्कृति का एक हिस्सा है. माना जाता है कि गालियां देने से गांव के आसपास रहने वाली बुरी शक्तियां दूर हो जाती हैं. हर साल यह त्योहार खूब हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. गांव से दूर रहने वाले लोग भी इस त्योहार के लिए विशेष तौर पर अपने घर पहुंचते हैं.