Shimla Mosque Latest Update: शिमला की संजौली की अवैध मस्जिद मामले में नगर निगम आयुक्त की अदालत में सुनवाई हुई. सुनवाई सुबह 11:15 पर शुरू हुई. अब शाम चार बजे दोबारा इस मामले में सुनवाई होगी. सुनवाई की शुरुआत सीपीसी के तहत 1/10 के तहत उस प्रार्थना पत्र पर की गई, जिसमें स्थानीय लोगों ने भी इस मामले में पार्टी बनने की मांग उठाई थी.


स्थानीय लोगों की तरफ से पेश हुए वकील जगत पॉल ने कहा कि मस्जिद की वजह से लोग परेशान हो रहे हैं. यहां अवैध रूप से मदरसा भी चल रहा है, जो जुलाई महीने में ही बंद किया गया. उन्होंने कहा कि यहां मुस्लिम समुदाय के लोगों की मृत्यु के बाद उनकी डेड बॉडी को आखिरी स्नान के लिए लाया जाता है. इससे लोग परेशान हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि नगर निगम ने इस मामले में तब ही नोटिस दे दिया था, जब इसके ग्राउंड फ्लोर का निर्माण हो रहा था. बावजूद इसके निर्माण लगातार होता रहा.


वक्फ बोर्ड के वकील ने क्या कहा?


स्थानीय लोगों की तरफ से पेश हुए वकील जगत पॉल का विरोध वक्फ बोर्ड के वकील भूप सिंह ठाकुर के साथ नगर निगम के वकील विकास शर्मा ने भी किया. दोनों पक्ष ने कहा था कि इस पूरे मामले में स्थानीय लोगों के पार्टी बनने की कोई जरूरत नहीं है. इस पर नगर निगम के आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने पूछा कि आखिर क्यों उन्हें इस पूरे मामले में पार्टी बनाया जाए. इस मामले में अब शाम चार बजे दोबारा सुनवाई होगी. शाम चार बताया जाएगा कि क्या स्थानीय लोगों को इस मामले में पार्टी बनाया जाना है या नहीं. इसके अलावा नगर निगम की कोर्ट में ने उस प्रार्थना पत्र को भी रिकॉर्ड में ले लिया है, जिसमें अवैध बताया जा रहे हिस्से को हटाने की पेशकश की गई थी.


2 सितंबर, 2011 को वक्फ बोर्ड को पहला नोटिस


स्थानीय लोगों की तरफ से पेश हुए वकील जगत पॉल ने कहा कि MC एक्ट के 254(1) के तहत पहले नोटिस 31 मार्च, 2010 को जारी कर दिया गया था. यह नोटिस ग्राउंड फ्लोर के लिए जारी किया गया था. यह नोटिस बिना अनुमति किया जा रहे काम को रोकने के लिए जारी किया जाता है. नियमों के तहत इस तरह के काम को दोबारा शुरू नहीं किया जा सकता. अगर ऐसा काम शुरू किया जाए, तो नगर निगम का दायित्व है कि वह इसे तोड़ दे. इसके बाद 3 मई, 2010 को पहली रिपोर्ट कोर्ट में सौंपी गई. आठ साल में पांच मंजिला इमारत बना दी गई जबकि पहला नोटिस 15 साल पहले ही दे दिया गया था. 3 मई, 2018 तक पांच मंजिलों को बना दिया गया. ग्राउंड फ्लोर के लिए 31 मार्च, 2010 को ही नोटिस दे दिया गया था. 2 सितंबर, 2011 को वक्फ बोर्ड को पहला नोटिस भेजा गया.


वक्फ बोर्ड को भी कुल 11 नोटिस दिए गए हैं. 2 सितंबर, 2024 को मोहम्मद लतीफ को पहले नोटिस दिया गया. वक्फ बोर्ड ने साल 2023 में बताया कि उन्हें इतने सालों में निर्माण के बारे में पता नहीं चला. साल 1997-98 की जमाबंदी के मुताबिक खसरा नंबर- 66 के आगे कोई भी मस्जिद पंजीकृत नहीं है. साल 2002-03 में भी जमीन में कोई मस्जिद नहीं है. साल 2017-18 में भी जमीन के आगे कोई मस्जिद का पंजीकरण नहीं है. साल 2010 में जब रिपोर्ट आ चुकी है कि ग्राउंड फ्लोर गैरकानूनी है, तो बाकी मंजिलों का निर्माण कैसे कर दिया गया. अगर ग्राउंड फ्लोर ही अनाधिकृत तौर पर बनाया गया है, तो बाकी फ्लोर कैसे लीगल हो सकते हैं.


शिमला में संजौली पुलिस चौकी के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ, जेल भरो आंदोलन की चेतावनी