Shimla Sanjauli Mosque: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली इलाके में मस्जिद निर्माण को लेकर विवाद पसरा हुआ है. राज्य के कई हिंदूवादी संगठनों ने 11 सितंबर को सुबह 11.00 बजे सभी लोगों से जुटने का आह्वान किया था. इससे पहले ही पुलिस ने मंगलवार को जगह-जगह पर नाकेबंदी कर दी थी. 


यही नहीं, संजौली इलाके में भी एक हजार से ज्यादा पुलिस जवानों की तैनाती की गई थी. ढली में बैरिकेडिंग कर लोगों को आवाजाही से भी रोका जा रहा था. आरोप यह भी लगे कि पुलिस ने शिमला शहर से बाहर ही कई प्रदर्शनकारियों को डिटेन किया और शहर के अंदर नहीं आने दिया गया.


पहले फल मंडी में जुटे प्रदर्शनकारी
11:30 बजे ढली टनल के नजदीक बनी फल मंडी में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी एकत्रित हुए. कई देर तक वहां नारेबाजी होती रही. इसके बाद करीब 500 लोगों ने फल मंडी की तरफ से चलते हुए ढली टनल की तरफ कूच कर दी. ढली टनल में पुलिस ने करी 15 फीट लंबी बैरिकेडिंग की हुई थी. 


10 मिनट के ही संघर्ष के बाद इस बैरिकेडिंग को यहां से उखाड़ फेंका गया और भीड़ तेजी से ढली टनल होते हुए मस्जिद की तरफ बढ़ गई. यहां मस्जिद से पहले शिमला पुलिस ने एक और बैरिकेडिंग की हुई थी. भीड़ चाहती थी कि वह मस्जिद के नजदीक पहुंच जाए.


पुलिस ने किया लाठीचार्ज 
जैसे ही भीड़ मस्जिद के करीब 200 मीटर की दूरी पर पहुंची, तो यहां बड़ी संख्या में पुलिस जवानों की तैनाती थी. पहले तो पुलिस जवानों ने लोगों को यहां से खदेड़ने की कोशिश की, लेकिन वे इसमें सफल नहीं रहे. इसके बाद यहां पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज कर दिया. लाठी चार्ज से भीड़ को तितर-बितर करने की कोशिश की गई. 


लाठी चार्ज में करीब सात लोग बुरी तरह घायल हुए. इनमें राजू ठाकुर सबसे गंभीर रूप से घायल हुए, जिन्हें इलाज के लिए इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया. इसके अलावा लाठी चार्ज के दौरान भीड़ की ओर से पत्थर भी फैंके गए. पत्थर लगने और धक्का-मुककी की वजह से पुलिस जवान भी घायल हुए. पुलिस जवान में घायल पुलिस जवानों की संख्या करीब सात है. इनमें महिला पुलिस जवान भी शामिल हैं.


प्रदर्शन कार्यों पर वॉटर कैनन से पानी की बौछार 
लाठीचार्ज के बाद भीड़ तितर-बितर हुई, लेकिन चंद ही मिनट में दोबारा भीड़ एक बार फिर जुट गई. इसके बाद यहां प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया गया. फायर ब्रिगेड के जवानों ने वॉटर कैनन का इस्तेमाल कर लोगों को वहां से हटाने की कोशिश की, लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो सके. कई देर तक प्रदर्शनकारी यहां पर नारेबाजी करते रहे. इस दौरान राज्य सरकार और जिला प्रशासन के खिलाफ भी खूब नारेबाजी की गई. 


संजौली चौक पर लगा दूसरा मोर्चा
शिमला पुलिस ढली की ओर से आ रहे इस बड़े मोर्चे को संभालती, तब तक संजौली चौक की ओर से भी सैकड़ों की संख्या में लोग एकत्रित हो गए. इनमें संजौली के स्थानीय दुकानदार भी शामिल थे. इन लोगों ने भी मस्जिद की तरफ बढ़ने की कोशिश की. यहां भी पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा. 


इस लाठी चार्ज में लोगों के साथ पुलिस जवान भी घायल हुए. धक्का-मुक्की के दौरान भीड़ पुलिस के ऊपर हावी हो गई और इसमें कई महिला पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई, जिन्हें इलाज के लिए इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज पहुंचाया गया. प्रदर्शन के दौरान स्थानीय लोगों को भी आवाजाही के लिए परेशानी का सामना करना पड़ा. इसके अलावा स्कूल की छुट्टी के बाद माता-पिता अपने बच्चों को घर ले जाने के लिए परेशानी झेलते हुए नजर आए.


बयान देने से बच रही है हिमाचल पुलिस
कुल-मिलाकर हिमाचल प्रदेश पुलिस और स्थानीय प्रशासन मामले की गंभीरता को समझने में काफी हद तक नाकाम रहा. शुरुआत में पुलिस को लगा कि यहां लोगों की भीड़ नहीं जुट सकेगी. भीड़ जुटने के बाद भी पुलिस इस मुगालते में रही कि मजबूत बैरिकेडिंग तोड़ना संभव नहीं है, लेकिन भीड़ ने बैरिकेडिंग तोड़ी भी और आगे भी बढ़ गई. जिला शिमला प्रशासन की ओर से यहां भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता की धारा-163 लागू की गई थी.


इस धारा के मुताबिक यहां पांच या पांच से ज्यादा लोगों के एकत्रित होने पर मनाही थी. बावजूद इसके हजारों की संख्या में संजौली में लोग जुटे और प्रदर्शन किया. फिलहाल, हिमाचल प्रदेश पुलिस की ओर से यह जानकारी साझा नहीं की जा रही है कि क्या इस पूरे घटनाक्रम के बाद उन्होंने कोई मामला दर्ज किया है या नहीं. हिमाचल प्रदेश पुलिस के आला अधिकारी कोई भी प्रतिक्रिया देने से बच रहे हैं.


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