Himachal Pradesh: शिमला में एक करोड़ से ज्यादा में बिका स्कूटी का VIP नंबर, जानें- मामले में क्यों नजर आ रहा झोल?
Shimla Scooty VIP Number Auction: हिमाचल प्रदेश परिवहन विभाग के अतिरिक्त निदेशक हेमिस नेगी ने बताया कि आवेदनकर्ता देसराज ने स्कूटी के वीआईपी नंबर के लिए 1.12 करोड़ रुपये से ज्यादा की बोली लगाई है.
Scooty VIP Number Auction In 1.12 Crore: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की राजधानी शिमला (Shimla) में दिलचस्प मामला सामने आया है. यहां कोटखाई (Kotkhai) लाइसेंस अथॉरिटी में एक शख्स ने स्कूटी के वीआईपी नंबर के लिए एक करोड़ 12 लाख 15 हजार 500 रुपये की बोली लगाई है. गुरुवार को दिन भर यह मामला चर्चा का विषय बना रहा. शुक्रवार को पांच बजे ऑनलाइन बिडिंग खत्म होने के बाद यह वीआईपी नंबर एक करोड़ से ज्यादा रुपये में बिक गया है.
वीआईपी नंबर के लिए करोड़ों की बोली लगाने वाले व्यक्ति का नाम देसराज है. हालांकि, वह कहां रहता है, इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि यह ऑनलाइन फ्रॉड भी हो सकता है. अधिकारी भी हैरान हैं कि स्कूटी के लिए आखिर कोई करोड़ों रुपये की बोली कैसे लगा सकता है. नियमों के मुताबिक अब तीन दिन के अंदर आवेदन कर देसराज को 30 फीसदी रकम जमा करवानी होगी.
ऑनलाइन बिडिंग में सिर्फ नाम का खुलासा
हिमाचल परिवहन विभाग के अतिरिक्त निदेशक हेमिस नेगी ने बताया कि आवेदनकर्ता देसराज ने स्कूटी के वीआईपी नंबर के लिए 1.12 करोड़ रुपये से ज्यादा की बोली लगाई है. ऑनलाइन बिड में केवल व्यक्ति का नाम सामने आया है. व्यक्ति के रहने का ठिकाना अब तक विभाग को पता नहीं लग सका है. ऐसे में मामले में गड़बड़झाला भी हो सकता है. मना जा रहा है कि यह किसी की शरारत भी हो सकती है.
HP-99-9999 नंबर के 26 लोगों ने लगाई बोली लगाई
यह पहली बार है जब किसी वीआईपी नंबर के लिए हिमाचल प्रदेश में करोड़ों रुपये की बोली लगी हो. हालांकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि क्या सचमुच शिमला में वीआईपी नंबर का क्रेज करोड़ों रुपये खर्च करने तक के लिए बाध्य कर सकता है. सोशल मीडिया पर बीते दो दिनों से लगातार मामले की चर्चा हो रही है. लोग अलग-अलग प्रतिक्रिया भी दे रहे हैं. गौरतलब है कि HP-99-9999 नंबर के 26 लोगों ने बोली लगाई थी. इसमें सबसे ज्यादा बोली एक करोड़ 12 लाख 15 हजार 500 रुपये की है. विभाग के अधिकारी भी इतनी अधिक बोली देखकर परेशान हैं. अगर मामला फ्रॉड निकला, तो साइबर क्राइम की विशेष टीम भी इसकी जांच कर सकती है.