Scrubtyphus Alert in Himachal Pradesh: मानसून के दौरान स्क्रब टायफस के मामले रिपोर्ट किए जाते हैं. हिमाचल प्रदेश में अब तक 973 पॉजिटिव मामले रिपोर्ट किया जा चुके हैं. इनमें सबसे ज्यादा मामले जिला शिमला में रिपोर्ट किए जा चुके हैं. शिमला में 403, बिलासपुर में 175 और मंडी में 110 मामले रिपोर्ट किए गए हैं. स्क्रब टायफस से अब तक 10 लोगों की मरीजों की मौत हो चुकी है. इनमें आठ इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज और दो मेडिकल कॉलेज टांडा के मरीज शामिल हैं. प्रदेश भर में अब तक स्क्रब टायफस के 5 हजार 834 सैंपल लिए गए हैं.


कैसे होता है स्क्रब टायफस?


स्क्रब टायफस एक बैक्टीरियल फीवर (Bacterial Fever) है, जो संक्रमित पिस्सू के काटने से होता है. अमूमन यह पिस्सू चूहे और चूहे की जैसी अन्य प्रजातियों में पाया जाता है. मानसून के वक्त जब वातावरण में बदलाव होता है, तो मानव शरीर इसका एक्सीडेंटल होस्ट बन जाता है. यह पिस्सू अमूमन घास में पाया जाता है और संक्रमित पिस्सू के काटने से यह शरीर में फैल जाता है.


स्क्रब टायफस से कैसे करें बचाव?


बरसात के मौसम में जगह-जगह घास की मात्रा बढ़ी हुई होती है. इसके अलावा बागवान भी सेब सीजन के दौरान बगीचों में ज्यादा तक काम करते हैं. ऐसे में जरूरी है कि जब भी आप स्क्रब टायफस संभावित क्षेत्रों में जाएं, तो अपने शरीर को कपड़ों से पूरी तरह ढक लें. यह भी जरूरी है कि खेत और बगीचे से वापस आने के बाद कपड़े बदलकर गर्म पानी से नहाया जाए. इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक डॉ. गोपाल आशीष शर्मा (Dr. Gopal Ashish Sharma- IGMC) ने बताया कि गर्म पानी से स्क्रब टायफस के संक्रमित पिस्सू पर असर होता है और इससे यह मर जाता है.


स्क्रब टायफस के लक्षण क्या हैं?


स्क्रब टायफस होने पर सबसे पहले तेज बुखार आता है. इसके बाद उल्टी और शरीर में दर्द शुरू हो जाती है. कई मामलों में इस संक्रमित पिस्सू के काटने से गिल्टी भी बन जाती है. यदि समय पर इसका इलाज न करवाया जाए, तो इसमें दिमागी असंतुलन तक होने की संभावना रहती है. हालांकि दिमागी संतुलन तक पहुंचाने की स्थिति एक्सट्रीम स्टेज पर आती है, लेकिन ऐसा होने पर इसका इलाज लगभग असंभव हो जाता है. डॉ. गोपाल आशीष शर्मा ने बताया कि संक्रमित पिस्सू के काटने से कुछ मामलों में सिगरेट के जलने जैसे निशान बन जाते हैं. इसे ESCHAR कहा जाता है. उन्होंने बताया कि इसका इलाज संभव है और इसके लक्षण नजर आने पर मरीज को तुरंत अस्पताल में टेस्ट करवाना चाहिए, ताकि समय पर उसे इलाज दिया जा सके. डॉ. गोपाल आशीष ने कपड़ों की साफ-सफाई के साथ निजी साफ-सफाई पर ज्यादा ध्यान रखने की बात पर जोर दिया.


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