Shimla Landslide: शिव बावड़ी में 11 दिन तक चला सर्च ऑपरेशन खत्म, 20 शव बरामद
Shimla: राजधानी शिमला के समरहिल इलाके में 11 दिन तक चला सर्च ऑपरेशन खत्म हो गया है. यहां से एनडीआरएफ ने 20 बरामद किए हैं. सावन की आखिरी सोमवार के दिन हुए भूस्खलन ने कई परिवारों को तबाह कर दिया.
Shimla Landslide: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के समरहिल स्थित शिव बावड़ी में सावन के आखिरी सोमवार को हुए हादसे में सभी 20 शवों को बरामद कर लिया गया है. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ स्थानीय पुलिस और फायर ब्रिगेड के जवानों ने दिन-रात एक कर सर्च ऑपरेशन चलाया. इसके बाद इन शवों की बरामद की हो सकी है. सर्च ऑपरेशन के दौरान कई बार जोरदार बारिश हुई, जो इस ऑपरेशन में बाधा बनी. बावजूद इसके कठिन परिस्थितियों में भी यह सर्च ऑपरेशन पूरा हो चुका है. हालांकि इस घटना में किसी भी व्यक्ति को जीवित नहीं निकाला जा सका. शिमला पुलिस अधीक्षक संजीव गांधी ने बताया है कि सर्च ऑपरेशन अब खत्म हो गया है. क्योंकि किसी अन्य के लापता होने की सूचना पुलिस के पास दर्ज नहीं करवाई गई है.
11 दिन तक चल सर्च ऑपरेशन में 20 शव बरामद
14 अगस्त को पहले दिन ही आठ शव बरामद हुए थे. इनमें संजीव ठाकुर, किरण, अमित, अमन शर्मा, संतोष शर्मा, सायशा, हरीश कुमार और आठ साल की नायरा का शव बरामद हुआ. इसके बाद 15 अगस्त को चले सर्च ऑपरेशन में डॉ. मानसी, संजय ठाकुर, चित्रलेखा शर्मा, पंडित सुमन किशोर नौटियाल, का शव बरामद हुआ. 16 अगस्त को सिर्फ अर्चना शर्मा का ही शव बरामद हो सका. इसके बाद 17 अगस्त को भी केवल प्रो. प्रेमलाल शर्मा की बॉडी ही निकल जा सकी. 18 अगस्त को सर्च ऑपरेशन में दोबारा तेजी लाई गई और यहां शंकर नेगी के साथ अविनाश नेगी का शव बरामद किया गया. 19 अगस्त को ईश शर्मा का शव बरामद हुआ. 20 अगस्त से लेकर 23 अगस्त तक टीम के हाथ कोई सफलता नहीं लगी. इसके बाद 24 अगस्त को नीरज ठाकुर समायरा और पवन शर्मा के शवों को बरामद किया गया.
क्षत-विक्षत हालात में मिले शव
अगस्त के महीने में सावन के आखिरी सोमवार के दिन समरहिल इलाके के आसपास रहने वाले लोग पूजा करने के लिए मंदिर पहुंचे थे. यहां सुबह के वक्त अचानक भूस्खलन हुआ और इसकी चपेट में 20 लोग आ गए मंजर इतना भयावह था कि पूरा पहाड़ ही दरक कर मंदिर की तरफ आ गया. यहां जिन शवों की बरामगी हुई, उन्हें पहचान पाना भी मुश्किल हो रहा था. कुछ शवों को तो मंदिर से करीब 300 मीटर की दूरी पर नाले से निकल गया. जिस समय यह घटना हुई उसे समय लोग मंदिर में पूजा और हवन कर रहे थे. लेकिन, उन्हें मालूम नहीं था कि आसमान से बरस रही बारिश उनके लिए काल बनकर आई है.