Shimla Jakhu Temple: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की राजधानी शिमला (Shimla) के मशहूर जाखू मंदिर (Jakhu Temple) में रविवार को 30वें महा भंडारा का आयोजन किया गया. इस महा भंडारा में पूरे प्रदेश से भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी रही. सुबह से ही भक्तों का मंदिर में आना- जाना शुरु हो गया था. दिन भर हजारों भक्तों ने अपने आराध्य भगवान हनुमान (Lord Hanuman) के दर्शन किए.


मंदिर में उमड़ी भगवान हनुमान के भक्तों की भारी भीड़


जाखू मंदिर में आयोजित महा भंडारा में 16 अलग-अलग व्यंजनों के स्टाल लगाए गए थे. इनमें राम लड्डू, सांभर-वड़ा, चाय-पकौड़ा, चाट-पापड़ी, गोलगप्पे, जलजीरा, दूध जलेबी, नूडल, आइसक्रीम, कैंडी और मालपुडे़ भक्तों को परोसे गए. इससे पहले सुबह के वक्त राधा कृष्ण मंदिर गंज से सुबह 6 बजे जाखू मंदिर तक प्रभात फेरी निकली. इस प्रभात फेरी में भी भक्तों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया. महा भंडारा के मौके पर भगवान हनुमान के ऐतिहासिक मंदिर में भक्तों का भारी जमावड़ा लगा रहा. प्रदेश के साथ अलग-अलग राज्यों से शिमला पहुंचे पर्यटकों ने भी भगवान हनुमान के दर्शन किए और अलग-अलग स्टॉल में भगवान के प्रसाद का भी आनंद लिया.


संजीवनी बूटी लाने के वक्त यहां रुके थे भगवान हनुमान


हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में बना भगवान हनुमान का मंदिर बेहद ऐतिहासिक होने के साथ भक्तों की आस्था का प्रतीक है. शिमला में करीब 8 हजार 048 फीट की ऊंचाई पर विश्व प्रसिद्ध जाखू मंदिर स्थित है. इस मंदिर में भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित है. भगवान हनुमान के दर्शन करने के लिए न केवल देश से बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं. ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में राम-रावण युद्ध के दौरान जब मेघनाथ के बाण से लक्ष्मण मूर्च्छित हो गए, तो सुखसेन वैद ने भगवान राम को संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा. इसके लिए भगवान राम ने अपने अनन्य भक्त हनुमान को चुना. अपने प्रभु भगवान श्री राम के आदेशों पर हनुमान संजीवनी बूटी लाने के लिए द्रोणागिरी पर्वत की ओर उड़ चले.


इसी स्थान पर प्रकट हुई भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति 


हिमालय की ओर जाते हुए भगवान हनुमान की नजर राम नाम जपते हुए ऋषि यक्ष पर पड़ी. इस पर हनुमान यहां रुककर ऋषि यक्ष के साथ भेंट की और आराम किया. भगवान हनुमान ने वापस लौटते हुए ऋषि यक्ष से भेंट करने का वादा किया, लेकिन वापस लौटते समय भगवान हनुमान को देरी हो गई. समय के अभाव में भगवान हनुमान छोटे मार्ग से चले गए. ऋषि यक्ष भगवान हनुमान के न आने से व्याकुल हो उठे. ऋषि यक्ष के व्याकुल होने से भगवान हनुमान इस स्थान पर स्वयंभू मूर्ति के रूप में प्रकट हुए.


भगवान हनुमान की चरण पादुका भी है मौजूद


इस मंदिर में आज भी भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति और उनकी चरण पादुका मौजूद हैं. माना जाता है कि भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति प्रकट होने के बाद यक्ष ऋषि ने यहां मंदिर का निर्माण करवाया. ऋषि यक्ष से याकू और याकू से नाम जाखू पड़ा. दुनियाभर में आज इस मंदिर को जाखू मंदिर के नाम से जाना जाता है.


मंदिर में स्थापित है 108 फीट ऊंची मूर्ति


साल 2010 ने इस मंदिर में भगवान हनुमान की 108 फीट ऊंची मूर्ति भी स्थापित की गई, जो शिमला में प्रवेश करने पर दूर से ही नजर आ जाती है. भगवान हनुमान के भक्त रोजाना उनके दर्शन करने के लिए यहां पहुंचते हैं. कहा जाता है कि भगवान हनुमान अपने सच्चे भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं.


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