Shimla Blast Update: शिमला (Shimla) के मिडिल बाजार में 18 जुलाई को हुए धमाके की जांच करने एनएसजी (NSG) का एक विशेष दल घटना स्थल पर पहुंच चुका है. टीम के करीब 10 सदस्य घटना स्थल से जरूरी साक्ष्य जुटा रहे हैं. चार दिन पहले हुए इस धमाके को शिमला पुलिस ने प्राथमिक जांच में एलपीजी गैस में हुआ धमाका बताया है. इसे लेकर हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) पुलिस महानिदेशक ने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का भी गठन किया है.


इस बीच एनएसजी टीम के शिमला पहुंचने से एक बार फिर हलचल बढ़ गई है. नेशनल सिक्योरिटी गार्ड की यह टीम सुबह करीब 11 बजे घटनास्थल पर जांच करने के लिए पहुंची. अभी भी एनएसजी कमांडो घटनास्थल से साक्ष्य जुटा रहे हैं. गौरतलब है कि इस धमाके की तीव्रता इतनी ज्यादा थी कि आसपास की कई इमारतों के शीशे टूट गए थे. इसके अलावा धमाके की आवाज करीब दो किलोमीटर दूर तक सुनाई दी थी. 






धमाके की तीव्रता से हिल गया था पूरा शहर
अमूमन एलपीजी गैस के धमाके में न इतनी तीव्रता होती है और न ही धमाके की आवाज. ऐसे में सभी को इस घटना में राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की संलिप्तता नजर आ रही है. इस बीच एनएसजी का एक विशेष दल जांच करने के लिए शिमला पहुंच गया है. बता दें कि इस घटना में स्थानीय कारोबारी की मौत हो गई थी, जबकि अन्य 13 लोग घायल भी हुए थे. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी मामले में गंभीरता से जांच करने की मांग उठाई है. चार दिन पहले हुए शिमला में धमाके के बाद से लगातार इसे आतंकी गतिविधि बताया जा रहा है. 


पुलिस बता रही एलपीजी गैस धमाका
भले ही शिमला पुलिस मामले को शांत करने के लिए धमाके को एलपीजी गैस का धमाका बता रही हो, लेकिन शहर भर में यह चर्चा है कि इतनी अधिक तीव्रता वाला धमाका एलपीजी गैस का नहीं हो सकता. घटना में जान गवाने वाले स्थानीय कारोबारी का परिवार भी इसे एलपीजी गैस धमाका मानने से इनकार ही कर रहा है. शिमला के बाजार में भी यही चर्चा है.
इस बीच एनएसजी का धमाके की जांच करने के लिए पहुंचना सीधे तौर पर आतंकी साजिश की ओर इशारा कर रहा है. एनएसजी अब अपनी जांच में या पता लगाएगी कि क्या सच में यह एलपीजी गैस का साधारण धमाका था या फिर इसके पीछे राष्ट्र विरोधी ताकतों का हाथ है.


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