Shimla Cloudburst Search Operation: शिमला और कुल्लू की सीमा पर समेज गांव में बादल फटने के बाद 33 लोग लापता हैं. लापता लोगों को ढूंढने के लिए गुरुवार सुबह से सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है. सर्च टीम के हाथ अब तक सफलता नहीं लगी है. शिमला के समेज में जारी सर्च ऑपरेशन में कुल 301 जवान शामिल हैं. इनमें एनडीआरएफ के 67, होमगार्ड के 69, आर्मी के 30 और सीआईएसएफ के 110 जवान शामिल हैं. वहीं, सुन्नी में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस, होमगार्ड और वन विभाग की 61 सदस्यीय टीम सतलुज नदी के आसपास सर्च ऑपरेशन चला रही है.
सर्च टीम अब लाई डिटेक्टर के साथ स्निफर डॉग की मदद ले रही है. शनिवार को प्रभावित क्षेत्र में लाइव डिटेक्टर डिवाइस की सहायता से सर्च ऑपरेशन चलाया गया. सर्च टीम को फिर भी लापता लोगों का सुराग नहीं मिला. शिमला उपायुक्त अनुपम कश्यप ने बताया कि लाइव डिटेक्टर डिवाइस की सहायता से मलबे के नीचे सर्च ऑपरेशन किया जा रहा है. अब तक के सर्च ऑपरेशन से मलबे में दबे लोगों की जानकारी नहीं मिल पाई है. उन्होंने कहा कि सर्च ऑपरेशन के पूरा होने तक लाइव डिटेक्टर डिवाइस और खोजी कुत्तों की मदद ली जायेगी.
कैसे मदद करता है लाइव डिटेक्टर डिवाइस?
लाइव डिटेक्टर जीवन की पहचान करने वाला खास डिवाइस है. डिवाइस का इस्तेमाल प्राकृतिक आपदा के बाद राहत बचाव कार्य में किया जाता है. वायरलेस या वायर्ड भूकंपीय सेंसर मलबे में जीवन के संकेतों का पता लगाते हैं. इस तरह पीड़ितों का सटीक पता लग जाता है. खास बात है कि जलरोधी संचार जांच प्रणाली 26 फीट की केबल से सुसज्जित है. जिससे मलबे के नीचे दबे हुए पीड़ितों से संपर्क किया जा सकता है. डिवाइस हल्का और कॉम्पैक्ट होने के साथ लीडर सर्च कंट्रोल बॉक्स डेढ़ घंटे की लाइफ वाली रिचार्जेबल बैटरी से चलता है. सर्च ऑपरेशन में लगी टीम को उम्मीद है कि सफलता हाथ लग सकती है.
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