Bantony Castle Shimla: राजधानी शिमला के लोगों का इंतजार अब खत्म हो चुका है. लंबे वक्त के बाद अब ऐतिहासिक बैंटनी कैसल के पुनरुद्धार का काम पूरा कर लिया गया है. यहां अब शाम के वक्त स्थानीय लोगों के साथ पर्यटक लाइट एंड साउंड शो का मजा ले सकेंगे. यही नहीं, शिमला शहर से संबंध रखने वाले बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता अनुपम खेर की आवाज पर्यटकों को शिमला के इतिहास से भी रूबरू करवाएगी. मंगलवार शाम हिमाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री बैंटनी कैसल शिमला के लाइट एंड साउंड शो का शुभारंभ किया.


उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने किया शुभारंभ


बैंटनी कैसल के साथ शिमला शहर का भी अपना एक इतिहास है, जो लाइट एंड साउंड शो में दिखाया जा रहा है. आने वाले समय में प्रदेश के अन्य स्थलों को भी पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जायेगा. उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा है कि बैंटनी कैसल भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग के पास एक महत्वपूर्ण संपति है. आने वाले समय में यहां पर अन्य गतिविधियों को भी आरंभ किया जायेगा ताकि पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सके.


अनुपम खेर की आवाज में होंगे शिमला दर्शन


30 मिनट तक चलने वाला लाइट एंड साउंड शो हिंदी और अंग्रेजी संस्करणों में तैयार किया गया है, जिसमे बैंटनी कैसल और ऐतिहासिक शिमला शहर के विभिन्न पहलुओं की यात्रा के बारे में बताया गया है. लाइट एंड साउंड शो डिजिटल कला तकनीक का उपयोग करने वाला पहला प्रोडक्शन है, जो ऐतिहासिक स्थल पर इसकी नींव से ही बैंटनी कैसल के नजरिए से शिमला के इतिहास को चित्रित करता है. यह शो शिमला की स्थापना से लेकर आज तक के बारे में एक नाटकीय प्रदर्शन है. बॉलीवुड अभिनेता अनुपम खेर ने अपनी आवाज इस चित्रण को दी है. शो देखने के लिए एक साथ 70 लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है. गौरतलब है कि बैंटनी कैंसल का संरक्षण लगभग 29 करोड़ रुपए की लागत से किया गया है.


कैसे हुआ पुनरुद्धार?


19 सितंबर 2017 को बैंटनी कैसल की ऐतिहासिक इमारत में हिमाचल प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इस प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी. पूर्व की जयराम सरकार में बैंटनी कैसल को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने का काम चला. सुक्खू सरकार में भी हिमाचल प्रदेश के 2023-24 के बजट में बैंटनी कैसल को विकसित करने की बात कही गई थी. बैंटनी कैसल सैलानियों के लिए खूबसूरत टूरिस्ट स्पॉट बनकर उभरेगा. यहां मनोरंजन के लिए म्यूजियम, पार्क और कैफे बनाया गया है. पहले 31 दिसंबर 2021 को बैंटनी कैसल का पुनरुद्धार पूरा होने की उम्मीद थी, लेकिन अब 23 मई, 2023 को इसकी शुरुआत हुई है.


क्या है बैंटनी कैसल का इतिहास?


यह ऐतिहासिक इमारत दो राज परिवारों से होते हुए निजी संपत्ति बनी. हिमाचल प्रदेश सरकार ने साल 1968, साल 1975 और साल 2004 की नाकाम कोशिश के बाद साल 2017 में ऐतिहासिक इमारत का अधिग्रहण कर लिया था. ब्रिटिश शासन काल के दौरान साल 1880 में बैंटनी कैसल को कैप्टन ए. गार्डन ने तत्कालीन सिरमौर रियासत के राजा अमर प्रकाश बहादुर को बेच दिया था. इसके बाद यह ऐतिहासिक इमारत बिहार के दरभंगा महाराजा कामेश्वर सिंह की संपत्ति भी रही. दरभंगा के महाराजा ने साल 1957-58 में इस संपत्ति को पंजाब सरकार को किराए पर दे दिया था. इसमें शुरुआत में पंजाब और उसके बाद हिमाचल पुलिस के विभिन्न अनुभाग कई सालों तक काम करते रहे. दरभंगा रियासत के शासकों के वारिसों के बाद यह इमारत शिमला में कारोबार कर रहे इसके मालिक से खरीदी गई. हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस संपत्ति का अधिग्रहण 27 करोड़ रुपए से अधिक राशि चुका कर किया है.


शिमला का नया टूरिस्ट स्पॉट


साल 1968 में इस परिसर के पुलिस के पास रहते हुए ही प्रमुख स्थानीय व्यापारी परिवार रामकृष्ण एंड सन्स से इस संपत्ति को खरीदा गया था. करीब 18 हजार वर्ग मीटर में फैली यह ऐतिहासिक इमारत खूबसूरत पहाड़ों के बीच बसी हुई है. इसकी एक तरफ शिमला का मशहूर ग्रैंड होटल और दूसरी तरफ CTO की इमारत है. इसके सामने खूबसूरत और विशालकाय पहाड़ नजर आते हैं, जो हर किसी का मन मोह लेते हैं.


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