TB Free Himachal Campaign: भारत में टीबी की बीमारी के मरीजों की संख्या भले ही हर साल कम हो रही है, लेकिन आज भी दुनियाभर में टीबी के सबसे ज्यादा मरीज भारत में ही हैं. टीबी यानी ट्यूबरक्लोसिस का इलाज 50 साल पहले ही खोज लिया गया था. बावजूद इसके आज भी इस बीमारी की वजह से हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती हैं.

 

WHO के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल 22 लाख लोग टीबी की चपेट में आते हैं. इनमें से 18 लाख से ज्यादा की मौत हो जाती है. टीबी की बीमारी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस की वजह से होती है. मरीज को पर्याप्त इलाज होने के बाद भी ये बीमारी घातक साबित हो सकती है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि ज्यादातर लोग टीबी के लक्षणों से अनजान होते हैं.

 

हिमाचल को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य

 

पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने का खूब प्रयास किया जा रहा है. इस संबंध में जिला शिमला उपायुक्त ने आज बुधवार को अपने कार्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक की. इस बैठक में अहम फैसला लिया गया है. अब केमिस्ट से कफ सिरप खरीदने वाले लोगों का रिकॉर्ड रखा जाएगा.

 

सात दिन बाद कफ सिरप खरीदने वाले व्यक्ति को फोन किया जाएगा और तबीयत की जानकारी ली जाएगी. अगर सात दिन बाद भी खांसी नहीं गई, तो उसे टीबी की जांच करने के लिए कहा जाएगा. इससे जिला में टीबी के मरीजों की पहचान के बाद इलाज उपलब्ध करवाने में आसानी हो सकेगी.

 

अक्टूबर महीने से शुरू होगा काम

 

जिला शिमला उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा कि प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने जपाइगो के साथ एमओयू साइन किया है. जपाइगो का प्रोजेक्ट टीबी इंप्लीमेंटेशन फ्रेमवर्क एग्रीमेंट (टीफा) जिले में एक अक्टूबर से शुरू किया जाएगा. इससे पहले जपाइगो की ओर से जिले में दवाई विक्रेताओं और आयुर्वेदिक चिकित्सकों के साथ प्रशिक्षण का आयोजन किया जाएगा. प्रशिक्षण से प्रोजेक्ट के तहत किए जाने वाले कामों पर विस्तृत जानकारी उपलब्ध की जाएगी.

 

टी. बी. के क्या हैं लक्षण?

 

• तीन हफ्ते से ज्‍यादा खांसी

 

• बुखार, विशेष तौर से शाम को बढ़ने वाला बुखार

 

• छाती में दर्द

 

• वजन का घटना

 

• भूख में कमी

 

• बलगम के साथ खून आना