प्रभु के दर्शन के लिए मर्यादित वस्त्र पहनकर आएं हनुमान भक्त, शिमला में जाखू मंदिर में लगाए जाएंगे बोर्ड
Shimla News: मंदिरों में प्रवेश करने के लिए श्रद्धालु मर्यादित वस्त्र पहनकर ही आएं. शिमला के प्रसिद्ध जाखू मंदिर में इस तरह के बोर्ड भी नजर आएंगे. आने वाले मंगलवार को यह काम शुरू हो सकता है.
Himachal Pradesh Temples: सनातन धर्म में मूर्ति पूजा का विशेष महत्व है. मूर्ति पूजन के लिए भक्तों में मंदिर जाकर पूजन की परंपरा है. बदलते वक्त के साथ आम लोगों के पहनावे में भी बदलाव आया है. कई बार यहां भी देखा गया है कि लोग मंदिरों में भी अमर्यादित वस्त्र पहनकर प्रवेश कर लेते हैं. यह हमेशा से ही चिंता के साथ बहस का भी विषय रहा है.
इस बीच फैसला लिया गया है कि अब भगवान हनुमान को समर्पित जाखू मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले भक्त मर्यादित वस्त्र पहनकर ही प्रवेश करें. इससे संबंधित बोर्ड भी मंदिरों में लगाए जाएंगे. जानकारी है कि जिला प्रशासन की देखरेख में मंगलवार को यह अपील बोर्ड जाखू मंदिर में लगाए जा सकते हैं.
जाखू मंदिर न्यास की बैठक में हुआ फैसला
बीते 31 अगस्त को शिमला के उपायुक्त के साथ हुई महत्वपूर्ण बैठक में यह मामला उठा था. इस बैठक में शिमला के तीन प्रमुख मंदिरों तारादेवी, संकटमोचन और जाखू मंदिर के प्रतिनिधि पहुंचे थे. जाखू मंदिर न्यास की बैठक में निर्णय लिया गया कि मंदिर के भीतर मर्यादित वस्त्र पहनकर के ही श्रद्धालु दर्शनों के लिए आएं. इस बारे में मंदिर परिसर में जगह-जगह अपील बोर्ड लगाए जाएंगे. मंदिर न्यास के सदस्यों ने यह सुझाव रखा था, जिस पर सभी ने अपनी सहमति जताई.
क्या है जाखू मंदिर का इतिहास?
शिमला में करीब 8 हजार 48 फीट की ऊंचाई पर विश्व प्रसिद्ध जाखू मंदिर स्थित है. इस मंदिर में भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित है. भगवान हनुमान का दर्शन करने के लिए न केवल देश से बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं. ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में राम-रावण युद्ध के दौरान जब मेघनाथ के बाण से लक्ष्मण मूर्च्छित हो गए, तो सुखसेन वैद्य ने भगवान राम को संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा. इसके लिए भगवान राम ने अपने अनन्य भक्त हनुमान को चुना. अपने प्रभु भगवान श्रीराम के आदेश पर हनुमान संजीवनी बूटी लाने के लिए द्रोणागिरी पर्वत की ओर उड़ चले.
इसी स्थान पर प्रकट हुई भगवान की स्वयंभू मूर्ति
हिमालय की ओर जाते हुए भगवान हनुमान की नजर राम नाम जपते हुए ऋषि यक्ष पर पड़ी. इस पर हनुमान यहां रुककर ऋषि यक्ष के साथ भेंट की और आराम किया. भगवान हनुमान ने वापस लौटते हुए ऋषि यक्ष से भेंट करने का वादा किया, लेकिन वापस लौटते समय भगवान हनुमान को देरी हो गई. समय के अभाव में भगवान हनुमान छोटे मार्ग से चले गए. ऋषि यक्ष भगवान हनुमान के न आने से व्याकुल हो उठे. ऋषि यक्ष के व्याकुल होने से भगवान हनुमान इस स्थान पर स्वयंभू मूर्ति के रूप में प्रकट हुए.
भगवान हनुमान की चरण पादुका भी है मौजूद
इस मंदिर में आज भी भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति और उनकी चरण पादुका मौजूद हैं. माना जाता है कि भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति प्रकट होने के बाद यक्ष ऋषि ने यहां मंदिर का निर्माण करवाया. ऋषि यक्ष से याकू और याकू से नाम जाखू पड़ा. दुनियाभर में आज इस मंदिर को जाखू मंदिर के नाम से जाना जाता है.
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