Shimla News: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की राजधानी शिमला (Shimla) में उत्पाती बंदरों का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. सोमवार को शिमला के ढांडा उपनगर में दोपहर के वक्त 19 वर्षीय लड़की पर हमला कर दिया. बंदरों से डरकर छात्रा लड़की ने बचने की कोशिश की और इस दौरान ही लड़की तीन मंजिला मकान से नीचे गिर गई. 


इसके बाद आनन-फानन में घायल हिमांशी को इंदिरा मेडिकल कॉलेज ले जाया गया. अस्पताल पहुंचने से पहले ही हिमांशी ने दम तोड़ दिया. दरअसल, हिमांशी कपड़े सुखाने के लिए छत पर गई हुई थी. तभी अचानक बंदरों ने उस पर हमला कर दिया. 


पहले भी हो चुकी है लोगों की मौत
हादसे के बाद से ही परिजन सदमे में हैं. लोगों का कहना है कि इलाके में उत्पाती बंदरों की संख्या लगातार बढ़ती चली जा रही है. वन विभाग (Forest Department) और नगर निगम शिमला बंदरों को पकड़ने के लिए कोई पुख्ता कदम उठाता नजर नहीं आ रहा है. इससे पहले कुफ्टाधारधार इलाके में भी 9 जुलाई 2020 को बंदरों के हमले से एक महिला की मौत हो गई थी. 4 नवंबर 2014 को भी शिमला के मिडिल बाजार में एक महिला की बंदर के हमले की वजह से मौत हुई थी. 38 वर्षीय महिला छत पर कपड़े सुखाने के लिए गई थी, तभी अचानक बंदर ने हमला कर दिया. संतुलन बिगड़ने की वजह से वो छत से नीचे गिरी और उसकी मौत हो गई.


बंदरों के खतरे को कम करने के नाम पर नगर निगम शिमला से बंदरों की नसबंदी कर रहा है. नसबंदी करने के बाद बंदरों को उनके मूल स्थान पर छोड़ दिया जाता है. शहर में लगातार बंदर उत्पाती होते हुए नजर आ रहे हैं. बंदर न सिर्फ खाने की चीजें छीन लेते हैं बल्कि आसपास गुजर रहे खाली हाथ व्यक्तियों पर भी हमला कर देते हैं.


परिजनों को नहीं मिल रहा मुआवजा
शिमला शहर में सार्वजनिक स्थानों पर बंदरों को भगाने के लिए वन विभाग ने मंकी वॉचर तैनात किए थे, लेकिन अब पिछले कई सालों से यह मंकी वॉचर भी नजर नहीं आते हैं. एक अन्य चिंता का विषय यह भी है कि अब तक बंदरों के हमले से हुई मौत के चलते किसी को भी मुआवजा नहीं मिला है. दरअसल, वन विभाग मुआवजा तभी देता है जब मौत बंदर के खाने की वजह से हुई हो, लेकिन अब तक हुई सभी मौतें बंदरों के डर से गिरकर गिरने की वजह से हुई हैं. ऐसे में अब तक मृतकों के परिजनों को मुआवजे के नाम पर एक भी रुपया नहीं मिला.


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