Himachal Pradesh News: भारत के 11वें राष्ट्रपति अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम (Former President APJ Abdul Kalam) देश के अन्य राष्ट्रपतियों से अलग थे. अब्दुल कलाम मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से जाने जाते थे और जितना बड़ा उनका नाम था उतनी ही बड़ी उनकी उपलब्धियां और सादा सरल जीवन था. लोग उन्हें प्यार से कलाम साहब कहकर भी पुकारा करते थे. देशभर में राष्ट्रपति के तीन आधिकारिक निवास स्थान हैं. दिल्ली (Delhi) और हैदराबाद (Hyderabad) के अलावा एक निवास स्थान शिमला (Shimla) में भी स्थित है. देवदार के पेड़ों से घिरी इस जगह को रिट्रीट के नाम से जाना जाता है. देश के राष्ट्रपति अमूमन गर्मियों की छुट्टियां बिताने यहां आया करते हैं. 


एक बार की बात है जब राष्ट्रपति रहते हुए एपीजे अब्दुल कलाम ने शिमला आने का मन बनाया. तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने शिमला आने का मन गर्मियों में नहीं बल्कि सर्दियों में बनाया. इंतजाम करने में अधिकारियों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी, लेकिन इच्छा राष्ट्रपति ने खुद जाहिर की थी तो इनकार करने का सवाल दूर-दूर तक खड़ा ही नहीं होता था. दरअसल, अधिकारी सर्दियों के मौसम में शिमला में होने वाली बर्फबारी को लेकर चिंतित थे.


कलाम ने की सरोग गांव जाने की इच्छा जाहिर
राष्ट्रपति रहते हुए एपीजे अब्दुल कलाम शिमला आए. कलाम साहब को देवदार की खूबसूरत वादियों के बीच बसा रिट्रीट बेहद पसंद आया. एक शाम को वे बाहर बैठकर चाय पी रहे थे. इस दौरान उनकी नजर सामने बने गांव सरोग पर पड़ी. उन्होंने इस गांव में जाने की इच्छा जाहिर की. एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा कि कल शाम की चाय इसी गांव में पी जाएगी. अधिकारियों ने आनन-फानन में गांव में सभी इंतजाम पूरे किए. इस दौरे को गुप्त रखने की कोशिश की गई ताकि ज्यादा परेशानी न हो.


ठंड के बावजूद नहीं जलाई गई आग
अपनी इच्छा के मुताबिक राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम इस गांव में पहुंचे. यहां उनके लिए ठंड से बचने के उपाय किए गए थे. प्रशासन ने लकड़ियों का एक ढेर इकट्ठा कर आग जलाने का प्रबंध किया था, लेकिन राष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात अधिकारियों ने इसकी मंजूरी नहीं दी.


कलाम साहब ने बच्चों के साथ डाली नाटी
अपने राष्ट्रपति से मिलने के लिए गांव वालों की भी भारी भीड़ लगी हुई थी. इस दौरान बच्चों की खास नाटी का भी इंतजाम किया गया था. तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के इस दौरे को कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार संजीव शर्मा बताते हैं कि कलाम साहब बच्चों के साथ बच्चे ही बन जाया करते थे. वे बच्चों की नाटी देखकर बहुत खुश हुए. उन तक बात पहुंचाई गई कि परंपरा के मुताबिक उन्हें भी बच्चों के साथ नाटी करनी होगी. राष्ट्रपति अब्दुल कलाम मानो मौके का इंतजार कर रहे थे. उन्होंने नाटी में बच्चों के साथ ताल से ताल मिलाई. इसके बाद उन्होंने नाटी डाल रहे बच्चों से मुलाकात की.


अब्दुल कलाम ने बच्ची से मांगा उसका धाटू
एपीजे अब्दुल कलाम ने नाटी में शामिल एक बच्ची से सिर पर पहना उसका धाटू मांगा. बच्ची ने धाटू देने से इनकार कर दिया. कलाम साहब ने एक बार फिर बच्ची से धाटू देने का आग्रह किया, लेकिन बच्ची फिर नहीं मानी. इस पर वहां मौजूद एक अधिकारी ने लगभग आदेश के स्वर में बच्ची को धाटू देने के लिए कहा. अधिकारी ने कहा, 'आप यह धाटू राष्ट्रपति जी को दे दीजिए. आपको कल बाजार से नया लाकर दे दिया जाएगा'.


पुरुषों का धाटू पहनना माना जाता है अपशगुन
इसके बाद राष्ट्रपति तक बात पहुंचाई गई कि धाटू पुरुषों के लिए नहीं बल्कि महिलाओं के लिए बना होता है और पुरुषों का इसे पहनना अपशगुन भी माना जाता है. इस पर एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा अगर ऐसा है तो वह धाटू नहीं पहनेंगे. दरअसल, वे ठंड से बचने के लिए बच्ची से धाटू मांग रहे थे.


पूरे हिमाचल दौरे पर नहीं खोली पहाड़ी टोपी
इसके बाद उनके लिए एक पहाड़ी टोपी लाई गई जिसे पहले राष्ट्रपति की सुरक्षा में लगे अधिकारियों ने ही उन्हें भेंट करने से इनकार कर दिया था. अधिकारियों ने यह सोचकर उन्हें टोपी नहीं पहनाने दी कि इससे कलाम साहब के बाल खराब हो जाएंगे. हालांकि जब कलाम साहब को यह टोपी पहनाई गई, तब उन्हें इस टोपी की गर्माहट का एहसास हुआ. इसके बाद वे लोगों के इस प्यार को हिमाचल के पूरे दौरे पर पहने नजर आए. आज भले ही एपीजे अब्दुल कलाम हमारे बीच में नहीं हैं, लेकिन हिमाचल प्रदेश के लोगों के मन में उनकी सहजता और सरलता की स्मृति आज भी है.


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