HP Assembly Election: शिमला के ऐतिहासिक टका बेंच पर ही क्यों होता है शपथ ग्रहण? जानिए-नाम के पीछे की वजह
Himachal Pradesh Election 2022: टका बेंच पर केवल विशेष श्रेणी के लोगों के बैठने की अनुमति थी. यहां बैठने के लिए अन्य लोगों को एक टका चुकाना होता था. इस वजह से यह जगह टका बेंच के नाम से मशहूर हुई.
Himachal Pradesh Assembly Election 2022: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 12 नवंबर को वोट डाले गए. प्रदेशभर के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों के कुल 412 प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है. अब चुनाव के नतीजे 8 दिसंबर को आने हैं, जिसका इंतजार प्रदेशभर की जनता को है. चुनाव के नतीजों के इंतजार के साथ शिमला का ऐतिहासिक टका बेंच भी चौदहवीं विधानसभा (Swearing in Ceremony of 14th Legislative Assembly) के मुख्यमंत्री और मंत्रियों के शपथ का इंतजार कर रहा है.
यहीं से मिला था पूर्ण राज्य का दर्जा
साल 1971 में 25 जनवरी के दिन माइनस डिग्री तापमान और बर्फ के फाहों के बीच देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसी ऐतिहासिक टका बेंच से हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य के दर्जे की घोषणा की थी. बीते कुछ सालों से यह रवायत बनी है कि मुख्यमंत्री और मंत्री समर्थकों के भारी हुजूम के बीच इसी टका बेंच से शपथ लेते हैं. अब तक वीरभद्र सिंह, प्रो. प्रेम कुमार धूमल और जयराम ठाकुर इसी जगह से शपथ ले चुके हैं. अब एक बार फिर इस टका बेंच को नई विधानसभा के मुख्यमंत्री और मंत्रियों के शपथ का इंतजार है. इस बार शपथ ग्रहण समारोह संभवत: 25 दिसंबर से पहले पूरा हो सकता है.
शपथ ग्रहण में पहुंचे थे पीएम मोदी
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद जब जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली, तो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 दिसंबर, 2017 को इस कार्यक्रम में पहुंचे थे. इस दौरान उनके साथ बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष और मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे थे. इसके अलावा बड़ी संख्या में केंद्रीय मंत्री भी शपथ ग्रहण समारोह का साक्षी बनने पहुंचे थे.
2017 में इन मंत्रियों ने ली थी शपथ
27 दिसंबर, 2017 को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के साथ महेंद्र सिंह ठाकुर, सुरेश भारद्वाज, राजीव सैजल, किशन कपूर, राम लाल मारकंडा, गोविंद सिंह ठाकुर, बिक्रम सिंह ठाकुर, सरवीण चौधरी, वीरेंद्र कंवर और अनिल शर्मा ने शपथ ली थी. तेरहवीं विधानसभा के इन मंत्रियों को प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने शपथ दिलाई थी. इस मंत्रिमंडल के दो मंत्रियों सुरेश भारद्वाज और राजीव सैजल ने संस्कृत भाषा में पद व गोपनीयता शपथ ली थी.
टका बेंच कैसे पड़ा था नाम?
ब्रिटिश शासन काल के दौरान शिमला के माल रोड और रिज मैदान पर अश्वेतों के रिज प्रवेश करने पर सख्त पाबंदी थी. टका बेंच पर भी केवल विशेष श्रेणी के लोगों के ही बैठने की अनुमति थी. यहां बैठने के लिए अन्य लोगों को एक टका चुकाना होता था. टका चुकाने की इस व्यवस्था के चलते यह जगह टका बेंच के नाम से मशहूर हुई.