Himachal Pradesh News: ब्रिटिश शासनकाल के दौरान ग्रीष्मकालीन राजधानी रही शिमला ऐतिहासिक इमारतों का शहर है. यहां ऐतिहासिक इमारतें इतिहास समेटे खड़ी हुई हैं. शिमला में एक ऐसी ही इमारत है, जिसका हरा रंग और विशालता हर किसी के लिए जिज्ञासा का विषय रहता है. आज इस बड़ी इमारत में इंडियन आर्मी ट्रेंनिंग कमांड है.


यह वही इमारत है, जहां ब्रिटिश इंडियन आर्मी का भी मुख्यालय था. इस ऐतिहासिक और खूबसूरत इमारत की दीवारें उन रणनीतियों की भी गवाह हैं, जिन्हें पहले और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जीत की लिए तैयार किया जा रहा था.


क्या है इमारतों के बड़े समूह का इतिहास?


इस इमारत का इतिहास कहता है कि साल 1864 से साल 1939 तक भारतीय सेना का मुख्यालय शिमला में था. कमांडर-इन-चीफ के अतिरिक्त सेना और सिविल प्रतिष्ठानों के दफ्तरों को स्थापित करने के लिए यहां ईंट, लोहे और कंक्रीट से यह मज़बूत ढांचे को खड़ा किया. यहीं सरकारी प्रेस और मेसोनिक हॉल बनाए गए थे. इसे लंदन के पीबॉडी भवनों के डिज़ाइन पर ही बनाया गया. यह ढांचे रिचर्डसन और कुडास फर्म ने सितंबर 1882 से मार्च 1885 के बीच बनाए. उस वक्त कमांडर-इन-चीफ का दफ्तर सबसे ऊपरी ब्लॉक में था. प्रथम और द्वितिय विश्व युद्ध के दौरान सभी ऑपरेशनों की योजना और निष्पादन इन्हीं दफ्तरों से होता था.


सात ऑपरेशनल कमानों में से एक है शिमला आरट्रैक


साल 1947 में स्वतंत्रता के बाद भारतीय सेना की पश्चिमी कमान बनाई गई. इसका मुख्यालय यहां साल 1954 से साल 1985 तक इन्हीं भवनों में रहा. साल 1965 और साल 1971 में भारत-पाक युद्धों की योजना और संचालन यहीं से हुआ. साल 1985 में जब पश्चिमी कमान का मुख्यालय चंडी मंदिर के लिए ट्रांसफर कर दिया गया. तब पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश एरिया मुख्यालय ने कुछ समय के लिए इन भवनों का इस्तेमाल किया गया था.


आर्मी ट्रेनिंग कमांड साल 1991 में महु में स्थापित किया गया. इसके बाद साल 1993 में शिमला के लिए ट्रांसफर कर दी गई. तब से यह मुख्यालय इन्हीं भवनों में स्थापित है. सात ऑपरेशनल कमानों में से एक, आरट्रैक भारतीय सेना के प्रशिक्षण की जिम्मेदारी निभा रहा है.


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