Kalka-Shimla Heritage Railway Track: हिमाचल प्रदेश में बारिश से हो रही तबाही थमने का नाम नहीं ले रही है. प्रदेश भर में आम जन जीवन बुरी तरह अस्त-व्यस्त हो चुका है. बीते दिनों राजधानी शिमला में हुए भूस्खलन की वजह से कालका-शिमला रेलवे हैरिटेज ट्रैक की जमीन ही खिसक गई. इसे देखकर हर कोई हैरान रह गया. ब्रिटिश शासनकाल की जिस इंजीनियरिंग के उदाहरण आज 120 साल बाद भी दिए जाते हैं, वह इंजीनियरिंग भी इस भूस्खलन के सामने टिक नहीं सकी.


भयंकर भूस्खलन देखकर हर कोई हैरान


14 अगस्त के दिन सावन के महीने के आखिरी सोमवार को यह बड़ा हादसा पेश आया. रेलवे ट्रैक के ठीक ऊपर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी की ऐतिहासिक इमारत है. यहीं से इस भूस्खलन की शुरुआत हुई. भूस्खलन की तीव्रता और प्रभाव इतना ज्यादा था कि यह इसने रेलवे ट्रैक की जमीन को ही खिसका दिया. अब मौके पर सिर्फ रेलवे ट्रैक ही नजर आ रहा है. इसके नीचे का बेस पूरी तरह गायब है. यही भूस्खलन आगे चलकर समरहिल स्थित शिव बावड़ी पर कहर बनकर टूटा, जहां 21 लोग इसकी चपेट में आ गए.



ट्रैक दुरुस्त करने में लगेगा एक साल का वक्त


कालका-शिमला रेलवे ट्रैक का निर्माण ब्रिटिश शासन काल के दौरान साल 1903 हुआ था. यह रेलवे लाइन कालका से शिमला को जोड़ती है. इसका इस्तेमाल अंग्रेजों के समय से ही आवाजाही के लिए होता रहा है. मौजूदा वक्त में यह टॉय ट्रेन पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है. इसके अलावा लोग सस्ती दरों पर शिमला से कालका पहुंचने के लिए भी इस ट्रेन का खूब इस्तेमाल करते हैं. बर्फ के मौसम में तो ट्रेन के सुहाना सफर का लुत्फ उठाने के लिए पर्यटकों की भारी भीड़ लगी रहती है. लेकिन, अब जिस तरह रेलवे ट्रैक के नीचे से जमीन ही गायब हो गई. इससे ऐसा प्रतीत होता है कि आने वाले एक साल तक इस ट्रैक पर ट्रेन नहीं दौड़ सकेगी.