Shimla News: राजधानी शिमला का कृष्णा नगर क्षेत्र कंटेनमेंट जोन घोषित, जानें क्यों लिया गया यह फैसला
Shimla: शिमला के कृष्णा नगर क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है, क्योंकि भूस्खलन के दौरान मलबे के नीचे दबे बूचड़खाने के जानवरों के शवों से संक्रमण फैल सकता है.
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Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला (Shimla) में भूस्खलन के कारण मची तबाही के बाद अब संक्रमण फैलने का खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में कृष्णा नगर वार्ड में भूस्खलन के मलबे में दबे बूचड़खाने (स्लॉटर हाउस) के 500 वर्ग मीटर क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है. यहां स्लॉटर हाउस के मलबे में दर्जनों बकरों और मुर्गियों के दबने से भारी दुर्गंध फैल गई है. हालत यह है कि कृष्णानगर वार्ड के निचले इलाकों में लोगों को घर खाली करने पर मजबूर होना पड़ रहा है.
बूचड़खाने वाले क्षेत्र में आवाजाही पर प्रतिबंध
बता दें कि, यहां 15 अगस्त को आए भूस्खलन में स्लॉटर हाउस सहित लगभग आठ घर जमींदोज हो गए थे. साथ ही दो लोगों की मौत हो गई थी.शिमला उपायुक्त आदित्य नेगी ने बताया कि, अधिकारियों ने बूचड़खाने के आस पास वाले क्षेत्र में आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. साथ ही निचले हिस्से में रहने वाले निवासियों को बूचड़खाने के पास से होकर आने वाले पानी का उपयोग करने से बचने के लिए कहा गया है. मेयर सुरिंदर चौहान ने कहा कि, पशुपालन विभाग और शिमला नगर निगम (एसएमसी) के अधिकारियों की टीमों ने साइट का दौरा किया.
जल्द हटाया जाएगा मलबा
इसके बाद किसी भी बीमारी को फैलने से रोकने के लिए केमिकल स्प्रे और ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया गया. जिससे संक्रमण का खतरा कम हो सके. मेयर सुरिंदर चौहान ने आगे कहा कि, हम मिट्टी के सूखने का इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि नमी वाली मिट्टी को हटाने के लिए भारी मशीनरी के इस्तेमाल से कृष्णा नगर इलाके में ऊपर के घरों को खतरा हो सकता है. उन्होंने कहा कि चीचड़ सूखते ही मलबा जल्द ही हटा दिया जाएगा. आगे उन्होंने बताया कि, जिला अधिकारियों ने खतरे वाले घरों में रह रहे लोगों को वहां से बाहर कर लिया गया है. साथ ही बड़ी संख्या में लोग खुद ही सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं.
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