Shimla News: सिटी ब्यूटीफुल के नाम से मशहूर चंडीगढ़ और इसके आर्किटेक्टर ली-कार्बूजिए के डिजाइन किए गए जिस मैनहोल कवर को लेकर विदेशों तक में खासी उत्सुकता रहती है, वही ऐतिहासिक विरासत शिमला (Shimla) में पैरों तले रौंदी जा रही है. शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (Indira Gandhi Medical College & Hospital) परिसर में प्रिंसिपल ऑफिस के नजदीक जिस जगह ऑक्सीजन गैस के सिलेंडर अनलोड होते हैं, वहीं पास में कार्बूजिए का डिजाइन किया गया मैनहोल कवर पैरों तले रौंदा जा रहा है.
यह ऐतिहासिक विरासत यहां कैसे आई, कौन लाया और किसने इसे यहां लगाया? इस बारे में अस्पताल प्रशासन को कोई जानकारी नहीं है. वरिष्ठ पत्रकार रजनीश बताते हैं कि आज से करीब 70 साल पहले डिजाइन किए गए इन कवर्स का ऐतिहासिक महत्व है. इन पर ली-कार्बूजिए द्वारा तैयार चंडीगढ़ का ग्रिड ले-आउट डिजाइन बना हुआ है. इन पर अंग्रेजी में चंडीगढ़ भी लिखा गया है. साल 2015 में कार्बूजिए के डिजाइन किए गए कवर्स अमेरिका में नीलाम भी हुए थे. यह ऐतिहासिक मैनहोल शिमला कैसे पहुंचा, इसकी किसी को खबर नहीं है.
IGMC अस्पताल में पैरों तले रौंदा जा रहा मैनहोल
पत्रकार रजनीश बताते हैं कि शिमला के आईजीएमसी अस्पताल में बी-ब्लॉक के सामने यह मैनहोल कई सालों से लगा हुआ है. इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में लोगों के पैरों तले रौंदा जा रहा यह ऐतिहासिक मैनहोल सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ की खास पहचान है. इन्हें ली-कार्बूजिए ने खास चंडीगढ़ के लिए तैयार किया था. कार्बूजिए के इन मैनहोल कवर्स को अमेरिका की एक आर्ट गैलरी में नीलाम किया गया था. यह नीलामी 6 जून, 2015 को हुई थी.
उस वक्त ऐसा ही कवर लाखों रुपये में नीलाम हुआ था. शिमला के आईजीएमसी अस्पताल में इस मैनहोल कवर के आने की कोई पुख्ता जानकारी मौजूद नहीं है. संभवत: काम के वक्त कोई ठेकेदार इसे चंडीगढ़ से शिमला लाया होगा, जिसे इसके महत्व की जानकारी नहीं थी. हालांकि हैरानी की बात यह है कि प्रशासन अब भी इसकी महत्ता नहीं समझ पा रहा है.
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