Shimla Landslide: आपदा में प्रबंधन गायब! एसएसबी के जवान न आते तो मुश्किल हो जाता रेस्क्यू ऑपरेशन
Shimla: शिमला में हुई आपदा के बीच प्रबंधन गायब ही नजर आया. आपदा प्रबंधन की जो बातें एयर कंडीशन कमरों में बैठकर मीटिंग में तय होती हैं, वह ग्राउंड जीरो पर न के बराबर ही लागू होती नजर आई.
Shimla News: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में मानसून इस बार बारिश के साथ आफत भी लेकर आया है. प्रदेश में लगातार हो रही बारिश की वजह से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. सोमवार को राजधानी शिमला (Shimla) में तबाही का मंजर देखने को मिला. यहां पहले समरहिल और फिर फागली में भूस्खलन की चपेट में आने से कई लोगों की जान चली गई. फागली वार्ड में एसएसबी के करीब 40 जवानों ने अपनी जान जोखिम में डालकर रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा किया. इस रेस्क्यू ऑपरेशन में आईटीबीपी और शिमला पुलिस के जवान भी शामिल हुए.
राजधानी शिमला में हुई आपदा के बीच प्रबंधन गायब ही नजर आया. आपदा प्रबंधन की जो बातें एयर कंडीशन कमरों में बैठकर मीटिंग में तय होती हैं, वह ग्राउंड जीरो पर न के बराबर ही लागू होती नजर आई. सोमवार सुबह 7:15 पर जब हादसा हुआ, तो उसकी जानकारी शिमला पुलिस को मिली. मौके पर सबसे पहले शिमला पुलिस के ही जवान पहुंचे, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि पुलिस के जवानों के पास रेस्क्यू करने के लिए उपयुक्त औजार उपलब्ध नहीं थे.
आपदा में प्रबंधन गायब!
— Ankush Dobhal🇮🇳 (@DobhalAnkush) August 14, 2023
Shimla: आपदा प्रबंधन के बड़े-बड़े दावे करने वाली सरकार और प्रशासन को कान खोलकर सुननी चाहिए ग्राउंड जीरो पर मदद करने वाले स्थानीय लोगों की यह बात
• सुनिए, स्थानीय लोग बता रहे हैं कि पुलिस जवानों के पास रेस्क्यू ऑपरेशन करने के लिए औजार ही मौजूद नहीं थे pic.twitter.com/U4fePpHIYP
SSB के जवान न आते तो?
यहां जब एसएसबी के जवानों ने आकर मोर्चा संभाला, तब रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी आई. इससे पहले पुलिस की जवान स्थानीय लोगों से मदद लेकर ही रेस्क्यू ऑपरेशन कर रहे थे. रेस्क्यू के लिए जरूरी औजार आसपास के स्थानीय लोगों से ही जुटाए गए, जो कि नाकाफी थे. शिमला पुलिस के जवान ग्राउंड जीरो पर रेस्क्यू ऑपरेशन से ज्यादा व्यवस्था बनाने में व्यस्त नजर आए. यहां मुख्यमंत्री और मंत्री के पहुंचने पर जवान रोड क्लीयरेंस के साथ लोगों की भीड़ को व्यवस्थित करने में लगे रहे. हालांकि शिमला पुलिस के पुलिस के जवानों की ट्रेनिंग रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए नहीं होती है. बावजूद इसके सवाल यह है कि जब मौके पर सबसे पहले पुलिस के जवान ही पहुंचते हैं, तो आपदा के वक्त निपटने के लिए पुलिस जवानों को इस तरह की ट्रेनिंग क्यों नहीं दी जा रही है?
प्रबंधन पर खड़े हो रहे सवाल
सवाल यह भी है कि क्या केवल अलर्ट जारी कर देने से प्रशासन की जिम्मेदारी खत्म हो जाती है? स्थानीय लोगों ने भी सवाल खड़े किए कि पुलिस के बल मौके पर व्यवस्था बनाने में लगी रही. यही नहीं, स्थानीय लोगों ने यहां पर आरोप लगाए कि पुलिस के जवान रेस्क्यू कर रहे कुछ लोगों को भी मौके से हटाने में ज्यादा व्यस्त नजर आई, जबकि पुलिस के जवानों को रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद करनी चाहिए थी. अब यहां सवाल यह है कि क्या एयर कंडीशन कमरों में होने वाली बैठक से वास्तव में आपदा प्रबंधन किया जा सकता है?