Shimla Masjid Case: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली इलाके में मस्जिद को लेकर हुए विवाद ने शहर की सांप्रदायिक सद्भाव की भावना पर असर डाला है. संजौली मस्जिद कमेटी मस्जिद में हुए अवैध बताए जा रहे निर्माण को भी हटाने के लिए तैयार है. मामले में प्रदर्शकारी हिंदुओं का प्रतिनिधित्व कर रही देवभूमि संघर्ष समिति ने बाहरी राज्य से आ रहे लोगों का वेरिफिकेशन और मस्जिद हटाने के साथ वक्फ बोर्ड को भंग करने की मांग उठाई है.


इस बीच शिमला में शुक्रवार यानी आज सद्भावना मार्च का आयोजन किया जा रहा है. इस मार्च में शहर के कई लोग शामिल होने वाले हैं. यह आयोजन 'शिमला फॉर पीस एंड हार्मनी' के बैनर तले हो रहा है. इसमें राज्य के वामपंथी नेताओं के साथ कई आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के भी कई नेता शामिल हैं.


शिमला के डीसी ऑफिस से शुरू होगा मार्च


यह सद्भावना मार्च शिमला के डीसी ऑफिस से शुरू होगा और नाज चौक तक चलेगा. इस दौरान शहर के लोगों को सद्भावना का संदेश दिया जाएगा. शिमला फॉर पीस एंड हार्मनी संगठन का संदेश है कि शहर में हमेशा से ही सद्भाव रहा है. यहां धर्म के नाम पर आपसी भेदभाव कभी देखने के लिए नहीं मिला. ऐसे में भविष्य में भी यह कायम रहे. इसके लिए यह मार्च आयोजित हो रहा है. इस मार्च में शहर भर के लोगों से एकत्रित होने की अपील की गई है.


देवभूमि संघर्ष समिति ने खड़े किए सवाल


इस मार्च पर देवभूमि संघर्ष समिति ने सवाल भी खड़े किए हैं. देवभूमि संघर्ष समिति ने पूछा है- 'ऊना के अंब में जब प्राची राणा बिटिया का गला रेता गया, तब यह सद्भावना कहां थी? जब चंबा में दलित युवक मनोहर को आठ टुकड़ों में काट दिया गया था, तब यह सद्भावना कहां थी? जब उदयपुर में कन्हैया लाल दर्जी का गला काटा गया, तब सद्भावना कहां थी?


हाल ही में फिर से उदयपुर में एक दलित छात्र को चाकू से गोद दिया गया, तब यह सद्भावना कहां थी? अभी बेतिया में एक और स्कूल छात्र को चाकू मार कर गंभीर रूप से घायल किया गया, तब सद्भावना कहां थी. हमारा हिंदू समाज से आग्रह है कि इनके दोहरे रवैये पर विचार करें.