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Shimla Masjid Case: शिमला में अवैध बताए जा रहे मस्जिद के निर्माण की इनसाइड स्टोरी, अचानक मामले ने कैसे पकड़ा तूल?

Shimla Masjid Controversy: हिमाचल प्रदेश के शिमला में अवैध बताए जा रहे मस्जिद के निर्माण पर खूब बवाल पसरा हुआ है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि इसके पीछे की असली वजह क्या है?

Shimla Masjid News: देश भर में हिमाचल प्रदेश की पहचान एक शांत राज्य के रूप में है. हालांकि, बुधवार को शिमला में जब हिंदू समाज के लोग एकत्रित हुए, तो यहां उबाल नजर आया. इस दौरान हिमाचल प्रदेश के लोगों ने अपना विरोध दर्ज करवाया. यह सभी लोग संजौली में बनी मस्जिद को अवैध बता रहे हैं और गिराने की मांग कर रहे थे. यही नहीं, हिंदू संगठन से जुड़े लोगों की यह भी मांग है कि बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों पर पुलिस नजर रखे और उनकी सही तरह से वेरिफिकेशन की जाए. शिमला में तेजी से बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है. इससे इलाके का माहौल खराब हो रहा है.

कैसे हुई बड़े विवाद की शुरुआत?

दरअसल, शिमला के मल्याणा क्षेत्र में 37 साल के विक्रम सिंह के साथ कुछ लोगों ने मारपीट की. झगड़े में विक्रम सिंह के सिर में गंभीर चोटें आईं और उन्हें 14 टांके लगे. शिमला पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई की और आरोपियों को दबोच लिया. आरोपियों में दो नाबालिग थे. विक्रम सिंह की तरफ से ढली थाना में दर्ज की गई रिपोर्ट में बताया गया कि वो 30 अगस्त की रात साढ़े आठ बजे अपना लोक मित्र केंद्र बंद कर घर जा रहा था कि वहां एक लडक़ा शोर मचा रहा था. विक्रम ने उसे रोका, तो वहां मोहम्मद गुलनवाज अपने अन्य साथियों के साथ आया और विक्रम को घेरकर मारपीट करने लगे. एक लड़के ने डंडे से सिर पर वार किया.

मारपीट के मामले छह आरोपी नामजद

विक्रम ने शिकायत में कहा कि आरोपी गुलनवाज और उसके साथियों ने जयपाल के साथ राजीव शर्मा नामक लोगों से भी मारपीट की. ढली पुलिस ने घायल लोगों का मेडिको लीगल केस बनाकर इलाज करवाया. शिमला पुलिस के मुताबिक मारपीट के इस मामले में छह आरोपियों की पहचान की गई. इन आरोपियों में गुलनवाज 32 साल, सारिक 20 साल, सैफ अली 23 साल, रोहित 23 साल, रिहान 17 साल और समीर 17 साल शामिल हैं. इनमें रिहान उत्तराखंड का और अन्य सभी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं. मामले की जांच एएसपी रैंक के अधिकारी रतन सिंह नेगी की निगरानी में हो रही है. पुलिस ने इसे स्थानीय दुकानदारों और बाहरी राज्य के मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच आपसी बहसबाजी और लड़ाई का मामला पाया, लेकिन स्थानीय लोग ऐसा नहीं मानते.

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में भी उठा मामला

मारपीट के बाद बीते रविवार को यहां भट्टाकुफ्फर के पार्षद नरेंद्र ठाकुर और अन्य लोग मस्जिद के बाहर प्रदर्शन करने के लिए पहुंच गए. जैसे-तैसे पुलिस ने इन्हें समझकर वापस घर भेजा. इसके बाद बुधवार को मामला हिमाचल प्रदेश विधानसभा में भी उठा. हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान नियम- 62 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत चौपाल से विधायक बलवीर वर्मा और शिमला से विधायक हरीश जनारथा ने यह मुद्दा उठाया.

इस चर्चा के दौरान राज्य सरकार में पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने भी हिस्सा लिया. इस दौरान अनिरुद्ध सिंह ने खुलकर अपनी बात कही. अनिरुद्ध सिंह की बातों पर सत्ता पक्ष की ओर से नहीं, बल्कि विपक्ष के सदस्यों की ओर से मेज थपथपाई गई. ऐसा विधानसभा में बेहद कम देखने के लिए मिलता है. एआईएमआईएम के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी अनिरुद्ध सिंह से नाराज नजर आए, जिसपर राणा अनिरुद्ध सिंह ने माकूल जवाब भी दिया.

अनिरुद्ध सिंह ने क्या कहा?

कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने स्पष्ट तौर पर कहा कि शिमला के संजौली इलाके में मस्जिद अवैध रूप से बनी है. इसका मालिकाना हक भी हिमाचल प्रदेश सरकार के पास है. इस जमीन पर कब्जा भी अवैध है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि सरकारी जमीन पर कैसे इतना बड़ा निर्माण हो गया. उन्होंने कहा कि आम सरकारी जमीन पर तो नक्शा भी पास नहीं होना चाहिए था. उन्होंने कहा कि अन्य जगहों पर अवैध निर्माण पर तो बिजली और पानी काट दिया जाता है, लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि इससे कई तरह के सवाल खड़े होते हैं.

14 साल से चल रहा है मामला

अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि साल साल 2010 से लेकर अब तक इस मामले में 44 पेशियां हो चुकी हैं. साल 2023 में नगर निगम को यह पता चलता है कि इसमें प्रतिवादी पक्ष एक व्यक्ति नहीं, बल्कि वक्फ बोर्ड को बनाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि बेहद गैर जिम्मेदाराना है. उन्होंने कहा कि जब यह मामला विचाराधीन था, तब भी यहां अवैध निर्माण किया गया. अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि मस्जिद अवैध है, तो उसे तोड़ा जाना चाहिए. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह मंदिर मस्जिद और किसी अन्य धार्मिक संस्थान का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह वैध और अवैध का मुद्दा है. अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि रविवार को मस्जिद के बाहर जो प्रोटेस्ट हुआ, उसकी भी वे पूरी जिम्मेदारी लेते हैं.

'6357 वर्ग फुट अवैध निर्माण'

ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने खुलासा किया कि अब तक 6 हजार 357 वर्ग फुट अवैध निर्माण हो गया है. इससे भी बढ़कर चिंता की बात है कि जो व्यक्ति केस की सुनवाई में आ रहा था, उसके बारे में साल 2023 में निगम को पता चलता है कि उसका केस से लेना-देना ही नहीं है. क्या निगम के अफसरों ने उसके कागज चेक नहीं किए. अचानक साल 2023 में निगम को पता चलता है कि जिसके खिलाफ केस चल रहा है, वह तो प्रतिवादी बन ही नहीं सकता. अब इस केस को वक्फ बोर्ड को ट्रांसफर किया गया है.

मंत्री ने कहा कि जो जमीन प्रतिवादी की बताई जा रही है, उसका मालिकाना हक सरकार का है. प्रतिवादी केवल कब्जाधारी है. ग्रामीण विकास मंत्री ने सीएम से आग्रह किया कि उस जमीन से कब्जा हटाया जाए. ये जांच की जाए कि जमीन किसकी है. क्या वह नक्शा जमा करवाने के लिए अधिकृत है. 

क्या कहते हैं मस्जिद के मौलवी?

संजौली मस्जिद के मौलवी शहजाद इमाम की भी इस पूरे मामले में प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने कहा कि यह मस्जिद साल 1947 से पहले कि यहां बनी हुई है. हालांकि, तभी छोटी सी मस्जिद थी. यहां साल 2007 के बाद कंस्ट्रक्शन हुई. उनका दावा यह है कि साल 2015 के बाद यहां कोई नया निर्माण नहीं हुआ है. यह मामला आयुक्त के पास लंबित है और इसे वक्फ बोर्ड लड़ रहा है.

पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का क्या है कहना?

हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी मामले में कानून सम्मत कार्रवाई के समर्थक हैं. एबीपी न्यूज़ के साथ बातचीत के दौरान जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार के मंत्री खुद मान रहे हैं कि यह अवैध निर्माण है. ऐसे में इस पर कार्रवाई की जानी चाहिए. जयराम ठाकुर का कहना है कि हिमाचल प्रदेश के साथ पूरे देश में बदलती हुई डेमोग्राफी चिंता का विषय है. इस विषय को भी गंभीरता से लेने की जरूरत है. जयराम ठाकुर ने कहा कि यह मामला सांप्रदायिक नहीं, बल्कि सही और गलत का है.

शनिवार को होगी मामले की सुनवाई 

अब इस मामले में शनिवार को नगर निगम आयुक्त के पास सुनवाई होनी है. नगर निगम के आयुक्त भूपेंद्र अत्री हैं. अब सभी की नजरें इसी मामले पर टिकी हुई हैं. राज्य सरकार किसी भी तरह इस मामले में अपनी फजीहत नहीं करवाना चाहती. अब यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर भी उछल चुका है. ऐसे में सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पर भी खासा दबाव है. सरकार के अपने ही मंत्री जल्द से जल्द मामले का निपटारे की बात कर रहे हैं. अब सभी की नजरें शनिवार को इस मामले की सुनवाई पर है.

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