Shimla News: शिमला की सबसे ऊंची जाखू की पहाड़ी तक पहुंचाने के लिए यात्री रोपवे से सफर करते हैं. जाखू मंदिर में भगवान हनुमान की 108 फीट ऊंची मूर्ति बनी हुई है. यहां भगवान हनुमान को समर्पित ऐतिहासिक मंदिर भी है. बाहरी राज्यों से यहां दर्शन के लिए पहुंचने वाले ज्यादातर पर्यटक आवाजाही के लिए रोपवे का इस्तेमाल करते हैं.


 रोपवे में सफर सुरक्षित हो और किसी आपात स्थिति में यहां से यात्रियों को सुरक्षित बचाया जा सके, इसके लिए यहां मॉक ड्रिल किया गया. इस मॉक ड्रिल की अगुवाई एडीसी प्रोटोकॉल ज्योति राणा ने की.


जाखू रोपवे में मॉक ड्रिल बुधवार सुबह 11 बजे शुरू हुई. सबसे पहले सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ टेबल टॉक एक्सरसाइज हुई. इसमें एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और होमगार्ड के प्रभारी की ओर से आपदा के दौरान किए जाने वाले रेस्क्यू के बारे ने बताया.


 इसके बाद सभी विभागों की तैयारी, तत्परता और आपदा की सूचना पर रिस्पांस को भी परखा गया. किसी भी आपदा के दौरान सूचना पर जल्द रिस्पांस कर वक्त रहते मौके पर पहुंचना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है.


मॉक ड्रिल में सबसे पहले जमीन से करीब 100 मीटर की ऊंचाई रोपवे ट्रॉली में फसे व्यक्ति को कुर्सी से सुरक्षित जमीन पर उतारा गया. इसके बाद एनडीआरएफ ने अपने जवान को रस्सी से सुरक्षित जमीन पर उतारा. रोपवे में फंसे लोगों को रेस्क्यू कर अस्पताल भी पहुंचाया गया. 


इस दौरान एडीसी प्रोटोकॉल ज्योति राणा ने बताया कि जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण हर साल रोपवे में मॉकड्रिल करता है. आज हुए इस मॉक ड्रिल में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और होमगार्ड के जवानों ने हिस्सा लिया.


उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए कारगर साबित होते हैं. ज्योति राणा ने कहा कि किसी भी आपात स्थिति में रोपवे से सफर कर रहे यात्री को बचाने के लिए यह मॉक ड्रिल किया गया. जाखू रोपवे शिमला का एकमात्र रोपवे है. भविष्य में शिमला को सड़क के साथ-साथ रोपवे से भी जोड़ने की योजना है. ऐसे में वक्त-वक्त पर इसमें आपदा प्रबंधन जांच जाना जरूरी है.


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