Shimla Municipal Corporation Election 2023: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में बहुप्रतीक्षित शिमला नगर निगम का चुनाव 2 मई को होना तय हुआ है. इसके लिए बीजेपी की तैयारियां जोरों पर है. हिमाचल बीजेपी ने सभी 34 वार्ड में प्रभारी और सह प्रभारियों की नियुक्ति कर दी है. इसके साथ ही नगर निगम शिमला चुनाव में जीत के लिए बीजेपी गुरुवार को एक हाई लेवल बैठक करने जा रही है. यह बैठक शिमला स्थित हिमाचल बीजेपी के प्रदेश कार्यालय में होनी है. बैठक की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप करेंगे. इस बैठक में विशेष रूप से पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के साथ सभी प्रभारी और सह प्रभारियों को बैठक में बुलाया गया है. इस बैठक में बीजेपी आगामी चुनाव को लेकर रणनीति तैयार करेगी.
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी का मिशन रिपीट का सपना साकार नहीं हो सका. ऐसे में अब भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव का बदला लेने के लिए नगर निगम शिमला चुनाव में कांग्रेस को टक्कर देने की तैयारी कर रही है. नगर निगम चुनाव को हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में हवा बनाने वाला माना जाता रहा है, लेकिन मामला कोर्ट में होने की वजह से चुनाव करीब 11 महीने की देरी से हो रहा है. यह पहली बार है जब विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद नगर निगम चुनाव हो रहे हैं. ऐसे में इस बार कांग्रेस-बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर रहने वाली है. जानकार मानते हैं कि प्रदेश में सरकार होने की वजह से कांग्रेस के पास बीजेपी के मुकाबले ज्यादा पावर है, लेकिन बीजेपी भी इन चुनावों में कांग्रेस को कड़ी टक्कर देने वाली है.
नेताओं में आपसी सहमति की कोशिश
नगर निगम चुनाव के लिए 13 अप्रैल, 14 अप्रैल और 17 अप्रैल को नामांकन करना है. ऐसे में प्रत्याशी तय करने के लिए पार्टी के पास नाम मात्र का समय है. करीब-करीब हर वार्ड में प्रत्याशी बनने की लड़ाई पूर्व पार्षदों के बीच है. प्रभारी अपने-अपने वार्डों में बैठक लेकर प्रत्याशियों के बीच आपसी सहमति से नाम तय करने की कोशिश कर रहे हैं. जहां आपसी सहमति नहीं बन पा रही है, वहां नाम आलाकमान को फाइनल करने के लिए भेजे जा रहे हैं. इस हाई लेवल बैठक में बीजेपी अपने प्रत्याशियों के नामों पर भी चर्चा करेगी. हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार का कारण बागियों का चुनाव लड़ना रहा. ऐसे में पार्टी इस चुनाव में कोशिश कर रही है कि प्रत्याशी तय करने में आपसी सहमति से बन जाए और चुनाव में बागियों का खतरा कम से कम रहे.
गुटबाजी को पाटना भी बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती
कांग्रेस की तरह भारतीय जनता पार्टी भी अलग-अलग गुटों में बंटी हुई है. ऐसे में गुटबाजी को पाटना भी पार्टी के सामने बड़ी चुनौती है. हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में शिमला से सिटिंग विधायक और मंत्री सुरेश भारद्वाज का टिकट शिफ्ट कर उन्हें साथ लगते विधानसभा में चुनाव लड़ने के लिए भेजा गया. इसके बाद से खुद सुरेश भारद्वाज और उनके समर्थक पार्टी से नाराज चल रहे हैं. हालांकि, पूर्व मंत्री सुरेश भारद्वाज ने खुले मंच से अब तक अपनी नाराजगी जाहिर नहीं की है. पार्टी जानती है कि पूर्व मंत्री सुरेश भारद्वाज का शिमला की जनता पर प्रभाव है. ऐसे में उनके बिना चुनाव में आगे बढ़ना बढ़ पाना आसान नहीं रहने वाला है. ऐसे में पार्टी की कोशिश है कि गुटबाजी को पाटकर सभी को एक साथ चलाया जाए, ताकि विधानसभा चुनाव में अधूरा रहा मिशन रिपीट का सपना नगर निगम शिमला में पूरा हो सके.