(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Shimla: शिमला में कल नगर निगम का चुनाव, जानें- क्या है ब्रिटिशकालीन म्युनिसिपालिटी का इतिहास?
Shimla Nagar Nigam Election: शिमला नगर निगम से पार्षद रहे नेता सत्ता के शीर्ष पर भी पहुंचे. सीएम सुखविंदर सिंह सक्खू भी शिमला नगर निगम के दो बार के पार्षद रह चुके हैं. 1986 में पहली बार चुनाव हुए थे.
Shimla Nagar Nigam Chunav: शिमला में 2 मई को नगर निगम के चुनाव होने हैं. नगर निगम शिमला देश की सबसे पुराने म्युनिसिपालिटी में से एक है. यह ब्रिटिश शासन (British Era) काल के दौरान साल 1851 में अस्तित्व में आई थी. उस वक्त शिमला (Shimla) आजादी से पहले के पंजाब (Punjab) का हिस्सा था. मौजूदा वक्त में नगर निगम साल 1907 में बनी टाउन हॉल (Town Hall) की इमारत में चलता है. इससे पहले इसका दफ्तर गेयटी थिएटर की ऐतिहासिक इमारत के टॉप फ्लोर पर हुआ करता था. साल 1905 में आए भूकंप के बाद गेयटी थिएटर की निचले हिस्से को खतरे के बीच नई बिल्डिंग का निर्माण किया गया था. इसके बाद इस म्युनिसिपालिटी को टाउन हॉल के बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया. बाद में म्युनिसिपालिटी, म्युनिसिपल कॉरपोरेशन यानी नगर निगम बन गई.
नगर निगम शिमला में साल 1986 में पहली बार चुनाव हुए थे. उस वक्त कांग्रेस के आदर्श कुमार सूद (Aadarsh Kumar Sood) पहली बार शिमला नगर निगम के मेयर बने. साल 1986 से लेकर साल 2012 तक लगातार कांग्रेस पार्टी का ही नगर निगम शिमला पर कब्जा रहा. साल 2012 में तत्कालीन धूमल सरकार ने नगर निगम शिमला में बदलाव कर महापौर और उप महापौर के की चयन प्रक्रिया को बदला. साल 2012 में मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव प्रत्यक्ष रूप से हुए. दिलचस्प ढंग से माकपा के प्रत्याशी संजय चौहान मेयर और टिकेंद्र पंवर डिप्टी मेयर बन गए. इस दौरान नगर निगम में पार्षद तो बीजेपी के जीत कर आए थे, लेकिन बीजेपी को सत्ता नहीं मिल सकी. साल 2017 में पहली बार बीजेपी का मेयर नगर निगम शिमला में बना और कुसुम सदरेट बीजेपी की पहली मेयर बनीं.साल 2019 में बीजेपी की सत्या कौंडल को मेयर बनाया गया.
अब तक 4 महिलाएं बनी हैं मेयर
नगर निगम शिमला के इतिहास में अब तक चार महिलाएं मेयर की कुर्सी तक पहुंची हैं. पहली बार जैनी प्रेम नगर निगम की मेयर बनी थीं. इसके बाद मधु सूद, कुसुम सदरेट और सत्या कौंडल भी नगर निगम के महापौर की कुर्सी तक पहुंचीं. जैनी प्रेम और मधु सूद कांग्रेस से जीत कर आई थींं, जबकि कुसुम सदरेट और सत्या कौंडल बीजेपी की पार्षद थी. गौरतलब है कि साल 2017 में मधु सूद ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू भी थे पार्षद
एक अन्य दिलचस्प बात यह भी है कि नगर निगम शिमला से राजनीति की शुरुआत करने वाले नेताओं ने प्रदेश स्तर पर अपना नाम बनाया. इसमें सबसे बड़ा उदाहरण मौजूदा वक्त में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू हैं. सुखविंदर सिंह सुक्खू खुद भी साल 1992 और साल 1997 में नगर निगम शिमला के पार्षद रहे हैं. इसके अलावा शिमला के विधायक हरीश जनारथा ने भी राजनीति की शुरुआत नगर निगम शिमला से ही की थी. पूर्व कांग्रेस विधायक आदर्श सूद भी मेयर बनने के बाद शिमला के विधायक बने थे.
किसके दावों में कितना दम?
साल 2023 में यह पहली बार है, जब विधानसभा चुनाव के बाद नगर निगम शिमला के चुनाव हो रहे हैं. साल 1986 से लेकर साल 2017 तक विधानसभा चुनाव से पहले ही नगर निगम शिमला के चुनाव होते रहे हैं. ऐसे में इस बार यह भी देखा जा रहा है कि प्रदेश सरकार का नगर निगम शिमला चुनाव पर खासा असर पड़ रहा इन दिनों पूरे प्रदेश की निगाहें नगर निगम शिमला चुनाव पर टिकी हुई हैं. जहां एक ओर कांग्रेस, बीजेपी को हार की हैट्रिक का मजा चखाने का दावा कर रही है. तो वहीं, बीजेपी बड़े झटके से पहले नगर निगम शिमला चुनाव में कांग्रेस की हार को ट्रेलर के रूप में दिखाने की बात कर रही है. दो मई को नगर निगम शिमला के चुनाव है. चार मई को पता चल जाएगा कि किसके दावों में कितना दम है?
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