MC Shimla Elections Results: नगर निगम शिमला चुनाव में कांग्रेस की प्रचंड जीत को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अपार सफलता बताया जा रहा है. कुल 34 वार्डों में से 24 वार्डों में कांग्रेस की जीत हुई और बीजेपी को 9 सीटों पर जीत के साथ ही संतोष करना पड़ा. वहीं माकपा ने भी एक सीट पर जीत हासिल की है. अब सुक्खू मंत्रिमंडल के सदस्य एक-एक कर इस जीत को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की जीत करार दे रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी को तीन साल में लगातार मिली तीसरी हार के हीरो क्या मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ही हैं?


इसके लिए हमें साल 2021 में जाना होगा. साल 2021 में जुलाई के महीने में हिमाचल प्रदेश की राजनीति का सबसे बड़ा नाम वीरभद्र सिंह का निधन हुआ. इसके बाद उपचुनाव हुए और उपचुनाव में वीरभद्र सिंह को श्रद्धांजलि के नाम पर कांग्रेस ने तीन विधानसभा उपचुनाव और एक लोकसभा उपचुनाव में जीत हासिल की. इसके बाद साल 2022 में के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत से बड़ा बीजेपी की हार को माना गया. इसके पीछे की वजह भारतीय जनता पार्टी का गलत टिकट आवंटन था.


अपनी सीट बचाने में लगे थे कांग्रेस नेता


हिमाचल प्रदेश की राजनीति को समझने वाले विद्वान मानते हैं कि बीजेपी अगर सही टिकट आवंटन करती, तो मिशन रिपीट हो जाता. हिमाचल कांग्रेस के भी कई वरिष्ठ नेता कैमरा के पीछे इस बात को कबूल करते हुए नजर आते हैं, कि पार्टी की स्थिति सत्ता वापसी के लिए अनुकूल नहीं थी. हर नेता अपनी सीट बचाने की जुगत में लगा था, लेकिन जनता ने बीजेपी को नकार कांग्रेस पर विश्वास जताया. 


कांग्रेस के साथ चली शिमला की जनता


अब बात आती है साल 2023 के नगर निगम चुनाव की. यह चुनाव 11 महीने की देरी से हुए. चुनाव जून 2022 में होने थे, लेकिन मामला कोर्ट में होने की वजह से चुनाव नहीं हो सके. हिमाचल प्रदेश में पांच महीने पहले ही सत्ता परिवर्तन हुआ है. ऐसे में साफ तौर पर यह दिखा कि जनता पूरी तरह प्रदेश सरकार के साथ चली. अब जहां कांग्रेस नेता इसे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का जादू बता रहे हैं. तो वहीं बीजेपी इसे सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करार दे रही है.


CM के गृह क्षेत्र में क्यों हार गई कांग्रेस?


नगर निगम शिमला में इसे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का जादू मान भी लिया जाए, तो सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के गृह विधानसभा क्षेत्र नादौन के वार्ड नंबर-7 भूंपल में हुए उपचुनाव में कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार की हार क्यों हो गई? वार्ड नंबर-7 भूंपल में बीजेपी समर्थित उम्मीदवार सोनू ने जीत हासिल कर ली. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़े बीजेपी प्रत्याशी विजय अग्निहोत्री ने कहा कि इससे यह साफ तौर पर सिद्ध होता है कि नादौन की जनता मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को पसंद ही नहीं करती है. इसके अलावा हाल ही में गगरेट से कांग्रेस के विधायक बने चैतन्य शर्मा की सीट खाली होने के बाद हुए उपचुनाव में भी भाजपा समर्थित सुशील कालिया ने कांग्रेस समर्थित दलविंदर सिंह को करारी शिकस्त दे डाली.


कैसे फीका पड़ रहा है जादू?


मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जहां नगर निगम शिमला चुनाव प्रचार के लिए रात-दिन एक किया. वहीं दूसरी तरफ वे नादौन में प्रचार करने के लिए गए ही नहीं. एक अन्य तथ्य यह भी है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का ज्यादा जुड़ाव शिमला से ही रहा है. उनका बचपन शिमला में ही बीता फिर पढ़ाई-लिखाई और राजनीति की शुरुआत भी शिमला से ही हुई. नादौन से पहले सुखविंदर सिंह सुक्खू कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र से टिकट की मांग करते रहे थे. यह सवाल लाजमी है कि अगर मुख्यमंत्री का जादू शिमला में चल रहा है, तो आखिर अपने गृह विधानसभा क्षेत्र नादौन में क्यों नहीं? जानकर मानते हैं कि मुख्यमंत्री को इस हार के मंथन की सख्त जरूरत है. मंथन से ही पता चलेगा कि जो सियासी जादू राजधानी में चला, वह नादौन में क्यों फीका पड़ गया.



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