Municipal Corporation Of Shimla: देश का हर नागरिक अपने महानायकों को लेकर बेहद भावनात्मक होता है, लेकिन प्रशासन का रवैया अक्सर इसे लेकर लापरवाह नजर आता है. ऐसी ही एक लापरवाही हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में भी देखने को मिलती है. शिमला ऐतिहासिक इमारतों का शहर है. शिमला का इतिहास ही इसे जीवंत बनाता है, लेकिन हैरानी की बात है कि नगर निगम शिमला के पास यहां के इतिहास का सही रिकॉर्ड ही नहीं रहता. जिस नगर निगम शिमला के पास ब्रिटिश हुक्मरानों के परिवार में जन्में बच्चों तक की जानकारी है. उसे देश की आजादी के महानायकों की कोई चिंता ही नहीं है.
दरअसल कार्ट रोड से अनाज मंडी की तरफ जाने वाले रोड का नाम भगत सिंह रोड है, लेकिन नगर निगम शिमला के रिकॉर्ड में यह गंज रोड के नाम से ही दर्ज है. शिमला शहर के लोग भी इसे गंज रोड के नाम से ही जानते हैं. नगर निगम शिमला के पास इस रोड का नाम शहीद-ए-आजम भगत सिंह के नाम पर होने का कोई रिकॉर्ड दर्ज नहीं है. गंज रोड की सभी दुकानों के बाहर लगे बोर्ड भी अब बदल चुके हैं. अब गंज रोड की केवल 26 नंबर दुकान में ही भगत सिंह रोड का बोर्ड लगा नजर आता है.
नगर निगम शिमला के पास भगत सिंह रोड की नहीं कोई जानकारी
शिमला के भगत सिंह रोड पर अपनी दुकान चलाने वाले सतीश कुमार का कहना है कि सभी स्थानीय बाशिंदे इस रोड को भगत सिंह रोड के नाम से ही जानते हैं. उनका जन्म साल 1950 में शिमला में हुआ. तब से उन्हें इस रोड का नाम भगत सिंह मार्ग ही पता है, लेकिन हैरानी की बात है कि नगर निगम शिमला के पास इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है. उन्होंने कहा कि साल 1996 में भी उन्होंने नगर निगम से यह मांग उठाई थी कि यहां शहीद भगत सिंह के नाम पर पार्क बनाया जाए. जहां प्रतिमा लगाने का काम बाजार के लोग कर देंगे, लेकिन नगर निगम ने यह काम नहीं किया. उन्होंने बताया कि उनकी दुकान की बिल बुक के साथ सरकार की ओर से जारी लाइसेंस में भी भगत सिंह रोड का जिक्र है. केवल नगर निगम के पास ही भगत सिंह रोड को लेकर कोई जानकारी नहीं है.
शिमला के बाशिंदे भी रोड के नाम से अनजान
दिलचस्प बात है कि अगर शिमला में भगत सिंह रोड के नाम से कोई भी डाक डाली जाए, तो वह डाक गंज रोड पर ही पहुंचती है. ऐसे में यह स्पष्ट है कि सरकारी दस्तावेजों में इस रोड का नाम भगत सिंह रोड के नाम से दर्ज है. अब सवाल यह उठता है कि आखिर नगर निगम के पास इसकी जानकारी क्यों नहीं है. भगत सिंह रोड पर अलग-अलग दुकान मालिकों की आज भी यह मांग है कि इस रोड का नाम भगत सिंह के नाम पर ही प्रसिद्ध हो. कम से कम यहां एक बोर्ड या गेट लगाने का काम हो, जिससे राजधानी शिमला के लोगों को भी यह जानकारी मिल सके कि इस रोड का नाम भगत सिंह रोड है, क्योंकि ज्यादातर आम जनता भी इसके नाम के बारे में नहीं जानती.
लापरवाही की मिसाल है नगर निगम शिमला
इस बारे ने शिमला नगर निगम के आयुक्त आशीष कोहली का कहना है कि उन्हें भगत सिंह रोड के बारे में कोई जानकारी नहीं है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि नगर निगम के रिकॉर्ड में भी भगत सिंह रोड के नाम से किसी रोड की कोई जानकारी दर्ज नहीं है. बात सिर्फ शिमला के भगत सिंह रोड की ही नहीं है, जो नगर निगम प्रशासन की लापरवाही के चलते गुमनामी के आंसू रो रहा है. इसी तरह राजधानी शिमला के रिज मैदान पर लगी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के बारे में भी नगर निगम को कोई जानकारी नहीं है. नगर निगम शिमला यह तक नहीं जानता कि यह प्रतिमा कब स्थापित हुई और इस पर कितना खर्च आया. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के ठीक पीछे उनके शिमला दौरों के बारे में दी गई जानकारी भी अधूरी है. इस पट्टिका से महात्मा गांधी की साल 1939 की दो यात्राओं की जानकारी गायब है.
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