Himachal News: जोशीमठ पर चिंता में शिमला में रहने वाले उत्तराखंड प्रवासी, पलायन के दर्द के साथ सता रही अपनों की चिंता
Shimla: शिमला में रह रहे उत्तराखंड के प्रवासियों ने भी जोशीमठ के हालात पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा पलायन का दर्द पहले छोटा था. जिसे रोकने की कोशिश की जाती तो आज ये दर्द फिर देखने को नहीं मिलता.
Himachal News: सभी न्यूज़ चैनल और समाचार पत्रों में इन दिनों जोशीमठ की जमीन धंसाव की खबरें प्रमुखता से उठाई जा रही हैं. देशभर के लोगों के लिए भले ही यह एक खबर मात्र हो, लेकिन उत्तराखंड के लोग इससे बेहद चिंतित हैं. चिंता की वजह अपनों और खुद से जुड़ी भावनात्मक चीजों को खोने का डर है. जोशीमठ (Joshimath) के इस हालात के बाद आज सवाल पैदा हुआ है कि समाज को आखिर विकास किस कीमत पर चाहिए? क्या कथित तौर पर किया जा रहा विकास मानव जीवन से बड़ा है?
हुक्मरानों तक नहीं पहुंची पहाड़ के करहाने की आवाज
सवाल यह भी है कि आज तक किसी ने इस बारे में कोई सवाल खड़े क्यों नहीं किए? अब स्थिति खराब होने पर ही महाप्लान बनाने के दावे क्यों किए जा रहे हैं. पहाड़ों का सीना छलनी करने के खिलाफ अब कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आवाज बुलंद की, लेकिन शीर्ष पर बैठे हुक्मरानों के कानों तक यह पहुंची ही नहीं या यह भी कहा जा सकता है कि हुक्मरानों ने इन आवाजों को सुनना जरूरी समझा ही नहीं. चिंता इस बात की भी है कि सत्ताधीशों ने पहाड़ (Mountain) की खूबसूरती (Beauty) के बीच दबे इस पहाड़ जैसे दर्द को अनदेखा करने की भरसक कोशिश की.
जोशीमठ के हालात को लेकर चिंतित शिमला में रह रहे प्रवासी
जोशीमठ के इस हालात पर सालों पहले रोजगार की तलाश में एक पहाड़ को छोड़कर दूसरे पहाड़ में आने वाले प्रवासी भी परेशान हैं. आजादी से कुछ साल पहले ही कुमाऊं-गढ़वाल (Kumaon-Garhwal) के लोगों ने हिमाचल आना शुरू कर दिया था. हिमाचल उस समय पंजाब राज्य का हिस्सा था. आज विकराल हो चुका पलायन का दर्द उस समय छोटा ही था, जिसे रोकने की कोशिश तक नहीं की गई. हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला (Shimla) में रह रहे प्रवासी जोशीमठ के हालात को लेकर चिंतित हैं. शिमला में ही कई ऐसे प्रवासी हैं, जिनका पैतृक गांव उत्तराखंड के जिला चमोली (Chamoli) में है. इन लोगों की चिंताएं अपनों को लेकर और भी ज्यादा हैं.
सरकार से पुख्ता योजना तैयार करने की मांग
साल 1925 में उत्तराखंड के लोगों को एकता के सूत्र में पिरोने के लिए बनी गढ़वाल सभा शिमला के पदाधिकारियों ने इस स्थिति को लेकर चिंता जताई है. गढ़वाल सभा शिमला के प्रधान दिनेश नौटियाल, महासचिव सुशील उनियाल और कोषाध्यक्ष हरि कृष्ण ने सरकार से मांग की है कि सरकार जोशीमठ के लोगों के लिए विस्तृत योजना तैयार करें. साथ ही प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा भी दिया जाए.
विकास के नाम पर मानवीय जीवन से बंद हो खिलवाड़
गढ़वाल सभा (Garhwal Sabha) शिमला से जुड़े प्रवासी यह भी चाहते हैं कि सरकार एक ऐसी पुख्ता योजना भी लाए, जिसमें विकास के नाम पर पहाड़ों का सीना छलनी कर मानवीय जीवन से खिलवाड़ न हो. अपना घर-गांव छोड़ पलायन के दर्द में दूसरे प्रदेश में रहने वाले प्रवासी जोशीमठ पर आए संकट को लेकर चिंतित हैं. क्योंकि जोशीमठ में न केवल मानवीय जीवन खतरे में है बल्कि इससे हमारी पौराणिक सभ्यता भी खतरे में आ गई है. फिलहाल सभी को इंतजार है सरकार की ओर से बनाई जाने वाली पुख्ता योजना का. साथ ही विश्वास मां प्रकृति की उस दया पर जो देवभूमि के लोगों पर हमेशा से रही है.
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