Shimla Mandir Dress Code: शिमला के जाखू मंदिर में अमर्यादित कपड़े पहनकर नहीं आने की अपील की गई है. नये नियम के मुताबिक श्रद्धालु भगवान हनुमान का दर्शन मर्यादित कपड़ों में करेंगे. शनिवार को शिमला उपायुक्त की बैठक में तारादेवी, संकट मोचन और जाखू मंदिर के प्रतिनिधि पहुंचे थे. जाखू मंदिर न्यास ने ड्रेस कोड लागू करने के फैसले पर मुहर लगाई. ड्रेस कोड की अनिवार्यता सुनिश्चित कराने के लिए मंदिर परिसर में होर्डिंग लगाये जायेंगे. जाखू मंदिर न्यास की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिये गये.


अब श्रद्धालुओं की तरफ से तेल और चढ़ावे के लिए सिंदूर का कुछ हिस्सा स्वीकार किया जायेगा. मंदिर के पुजारी पदों को भी भरने पर फैसला हुआ. प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा जाएगा. बता दें कि जाखू मंदिर में 1 जनवरी से 30 अगस्त 2024 तक कुल 1 करोड़ 99 लाख 47 हजार 571 रुपये का चढ़ावा आया है. अभी तक 79 लाख 66 हजार 423 रुपये विकास कार्यों में खर्च किए जा चुके हैं. मंदिर के विभिन्न खाते में 3 करोड़ 55 लाख 53 हजार 75 रुपये की राशि है.




तीन मंदिरों की वेबसाइट बनाने का फैसला 


शिमला के श्री तारा देवी माता मंदिर, श्री संकट मोचन मंदिर और श्री हनुमान जी मंदिर जाखू की वेबसाइट बनाने का भी फैसला लिया गया है. तीनों प्रमुख मंदिरों की वेबसाइट नहीं है. ऐसे में श्रद्धालुओं को मंदिरों की जानकारी एक मंच पर नहीं मिल पाती है. वेबसाइट पर मंदिर की आय-व्यय, विकासात्मक कार्य, इतिहास, भंडारा बुकिंग और दान सुविधा की जानकारी उपलब्ध होंगी. शिमला में करीब 8 हजार 48 फीट की ऊंचाई पर विश्व प्रसिद्ध जाखू मंदिर स्थित है. भगवान हनुमान को समर्पित जाखू मंदिर में दर्शन के लिए देश विदेश से श्रद्धालु पहुंचते हैं.


जानें शिमला के जाखू मंदिर का इतिहास


मान्यता है कि त्रेता युग में राम-रावण युद्ध के दौरान जब मेघनाथ के बाण से लक्ष्मण मूर्च्छित हो गए, तो सुखसेन वैद ने भगवान राम को संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा. भगवान राम ने काम के लिए अनन्य भक्त हनुमान को चुना. प्रभु भगवान श्री राम के आदेशों पर हनुमान संजीवनी बूटी लाने द्रोणागिरी पर्वत की ओर उड़ चले. हिमालय की ओर जाते हुए भगवान हनुमान की नजर राम नाम जपते हुए ऋषि यक्ष पर पड़ी. हनुमान ने रुककर ऋषि यक्ष से भेंट कर आराम किया. वापसी में भगवान हनुमान ने ऋषि यक्ष से भेंट करने का वादा किया.


भगवान हनुमान की चरण पादुका मौजूद

लौटते समय भगवान हनुमान को देर हो गई. समय के अभाव में भगवान हनुमान छोटे मार्ग से चले गए. ऋषि यक्ष भगवान हनुमान के न आने से व्याकुल हो उठे. भगवान हनुमान इस जगह पर स्वयंभू मूर्ति के रूप में प्रकट हुए. जाखू मंदिर में आज भी भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति और चरण पादुका मौजूद हैं. माना जाता है कि भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति प्रकट होने के बाद यक्ष ऋषि ने मंदिर का निर्माण करवाया. ऋषि यक्ष से याकू और याकू से नाम जाखू पड़ा. जाखू मंदिर में ड्रेस कोड लागू करने का उद्देश्य धार्मिक पवित्रता बनाए रखने की है. 


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