Piano Shaped Dam: पियानो के शेप में बना है शिमला का ये बांध, खासियत जानकर रह जाएंगे हैरान, यहां जानें- क्या है खासियत
हिमाचल प्रदेश के शिमला से करीब 94 किलोमीटर दूर हाटकोटी में एक बांध बना है जिसे सावड़ा-कुड्डू हाइड्रो प्रोजेक्ट के नाम से जाना जाता है. इस बांध की खासियत ये है कि ये पियानो के आकार में बना हुआ है.
Piano Shaped Dam: साल 1963 में 22 अक्टूबर के दिन भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू (Pt. Jawaharlal Nehru) हिमाचल आए. मौका बेहद खास था. पंडित नेहरू ने भाखड़ा-नांगल बांध (Bhakra-Nangal Dam) देश को समर्पित किया. यह आजाद भारत का पहला हाइड्रो प्रोजेक्ट (First Hydro Project) था. उद्घाटन के वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने भाखड़ा की विशालता को देखते हुए बांधों को नए भारत का मंदिर कहा था. आगे चलकर इन्हीं बांधों ने हरित क्रांति (Green Revolution) जैसे अध्याय की भूमिका बांधने में अहम भूमिका निभाई.
हिमाचल की पहचान आज बिजली उत्पादक राज्य के रूप में होती है. जहां भाखड़ा-नांगल, पोंग, नाथपा-झाकड़ी जैसे बड़े बांधों ने प्रदेश के साथ अन्य राज्यों की बिजली की जरूरतें पूरी की. वहीं कुछ हाइड्रो प्रोजेक्ट बिजली उत्पादन (Generating Electricity) के साथ अपनी तकनीक और बनावट के कारण भी दिलचस्प हैं. ऐसा ही एक बांध राजधानी शिमला से करीब 94 किलोमीटर दूर हाटकोटी में बना है. इसे सावड़ा-कुड्डू हाइड्रो प्रोजेक्ट (Savda-Kuddu Hydro Project) के नाम से जाना जाता है.
पियानो के स्ट्रक्चर डिजाइन पर बना बांध
इस बांध का निर्माण पियानो के स्ट्रक्चर डिजाइन (Piano Structural Design) के आधार पर किया गया है. जैसे पियानो बोर्ड काले और सफेद कीज (Keys) में बंटा होता है. ठीक वैसे ही इस बांध को भी डिजाइन किया गया है. किसी आम बांध की तरह एक्सेस पानी निकालने के लिए इसमें गेट खोलने की भी आवश्यकता नहीं पड़ती. बांध को इस तरह से बनाया गया है कि पानी का स्तर बढ़ने पर पानी इसके ऊपर से बिना नुकसान के आराम से निकल जाता है.
जर्मनी के साथ टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के बाद बना बांध
इस बांध का निर्माण HPCL की देख-रेख में हुआ. एक और दिलचस्प बात है कि बांध के लिए टेक्नोलॉजी ट्रांसफर जर्मनी (Germany) से हुआ. जर्मनी ने ही इस बांध की मूल संरचना और डिजाइन को साझा किया है. बताया जाता है कि यूरोप के बाद यह अपनी तरह दुनिया भर में दूसरा और एशिया में अपनी तरह का पहला बांध है. जब 27 दिसंबर 2021 को प्रधानमंत्री मोदी मंडी आए थे. इसी दौरान उन्होंने वर्चुअल माध्यम से इस बांध का उद्घाटन किया.
यह हाइड्रो प्रोजेक्ट 111 मेगावॉट की क्षमता रखता है. हर साल यह बांध लगभग 380 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन कर पाने में सक्षम है. इस प्रोजेक्ट की शुरुआत साल 2007 में हुई थी और इसे बनाने में कुल 2 हजार 80 करोड़ की लागत आई.
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