Shimla News: हिमाचल प्रदेश में युवाओं के बीच नशे का बढ़ता प्रचलन, युवाओं को गर्द में धकेलता हुआ नजर आ रहा है. देशभर में पंजाब के बाद नशे में हिमाचल का दूसरा स्थान है. ऐसे में छोटे से पहाड़ी राज्य की जनता अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं. यूं तो पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी, पहाड़ के विकास में इस्तेमाल करने की बात कही जाती है, लेकिन यह जवानी इन दिनों गलत दिशा की ओर बढ़ रही है.


इस बीच युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए शिमला पुलिस पिछले कुछ समय से लगातार चिट्टा माफिया पर कार्रवाई करती नजर आ रही है. बीते करीब पांच महीनों में शिमला पुलिस ने बड़े ड्रग तस्करों को भी गिरफ्त में ले लिया है. दिल्ली पुलिस की इस कार्रवाई से अब शिमला में आसानी से मिलने वाले चिट्टे की उपलब्धता कम होती चली जा रही है. दिल्ली पुलिस कई बड़े नशा तस्करों की प्रॉपर्टी भी सील कर चुकी है.


ड्रग्स की लत से युवाओं को बाहर निकलने की कोशिश


हाल ही में शिमला के फिंगास्क इलाके से पुलिस ने एक युवक को चिट्टे के साथ गिरफ्तार किया. अपने बेटे की नशे की लत से परेशान मां शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी के पास पहुंची. मां ने शिमला के एसपी को आप बीती बताई और इस परेशानी का हल एसपी शिमला से मांगा. इस पर शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी ने नशे की चपेट में फंसे युवा के इलाज में मदद करने की बात कही है. यही नहीं, उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर अस्पताल के जाने-माने डॉक्टर से संपर्क किया. ताकि नशे की चपेट में फंसे युवा को चिट्टे की गिरफ्त से बाहर निकाला जा सके. शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी ने कहा कि उनकी तरफ से यह एक छोटा-सा प्रयास है. यदि यह प्रयास सफल रहता है, तो भविष्य में भी वे युवाओं को नशे की गिरफ्त से बाहर निकालने के लिए इस दिशा में आगे बढ़ेंगे.


नशे के आदी युवा अपराधी या मरीज?


नशे को खत्म करने के लिए पुलिस लगातार नशा तस्करों के साथ इसका इस्तेमाल करने वाले आरोपियों पर कार्रवाई कर रही है. चिट्टे के साथ गिरफ्तार होने वाले आरोपियों पर एनडीपीएस एक्ट के तहत मामले दर्ज किए जा रहे हैं. इस बीच चिट्टे की लत में फंसे युवाओं के ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जहां युवा मजबूरन चिट्टे का सेवन कर रहे हैं. इसकी शुरुआत तो शौक के तौर पर होती है, लेकिन बाद में देखते ही देखते यह जरूरत बन जाता है. इसके बाद चाह कर भी युवा इस नशे की चपेट से बाहर नहीं आ पाते. डॉक्टर की भाषा में इसे विड्रॉल पेन कहा जाता है. समाज में एक बहस यह भी है कि नशे की चपेट में फंसे युवाओं को केवल आरोपी ही नहीं बल्कि एक मरीज के तौर पर भी देखे जाने की जरूरत है. ऐसे युवाओं का इलाज करवा कर इस समस्या से छुटकारा दिलाया जा सकता है. हालांकि अधिकतर लोगों का मत इस मामले में यही है कि यह नशा एक सामाजिक बुराई है. इसे पूरे समाज के प्रयासों से ही खत्म किया जा सकता है.


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