Raj Bhawan Shimla: साल 1832 में बनी बार्नस कोर्ट की ऐतिहासिक इमारत को आम जनता के लिए खोल दिया गया है. अब हर हफ्ते के शनिवार और रविवार को आम लोग भी इस ऐतिहासिक भवन का दीदार कर सकेंगे. इसके लिए भारतीयों को 30 रुपए और विदेशी पर्यटकों को 60 रुपए चुकाने होंगे. राजभवन की ओर से स्कूली बच्चों को यहां प्रवेश पूरी तरह नि:शुल्क रखा गया है. यहां लोग इस भवन के इतिहास के बारे में जा सकेंगे. इससे पहले शिमला के छराबड़ा स्थित राष्ट्रपति निवास को भी आम जनता के लिए खोला गया है. इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि यह राज भवनों से अलग है. उन्होंने इसका एकाकीपन खत्म करने के लिए यह फैसला लिया है. अब आम लोग भी इस ऐतिहासिक भवन से मुलाकात कर सकेंगे.


बार्नस कोर्ट का इतिहास


बार्नस कोर्ट के दक्षिण की ओर मनोरम पहाड़ियों के साथ वन क्षेत्र और पूर्व की ओर घने जंगल और पश्चिम में राज्य सचिवालय परिसर है. बार्नस कोर्ट धज्जी दीवार निर्मित नियो ट्यूडर शैली का भवन है. भारतीय सेना के ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ सर एडवर्ड बार्नस ने साल 1832 में सबसे पहले इसे आवास के रूप में उपयोग में लाया. उन्हीं के नाम पर इस भवन का नाम भी पड़ा. साल 1849 से साल 1864 तक यह विभिन्न ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ का निवास स्थान था. साल 1857 के महान विद्रोह की खबर जनरल एसन को यहीं पर दी गई थी.


पंजाब के ग्रीष्मकालीन राजभवन के रूप में करता था काम


इस इमारत के भूतल पर बने बॉल रूम को पूर्वी मूरिश शैली में आकर्षक ढंग से सजाया और चित्रित किया गया है. इस काम की देखरेख कई साल तक मेयो स्कूल ऑफ आर्ट, लाहौर के प्रिंसिपल लॉकवुड किपलिंग ने की है. साल 1966 तक यह पंजाब के ग्रीष्मकालीन राजभवन के रूप में कार्य करता था. पुनर्गठन के बाद जब शिमला को हिमाचल प्रदेश को दिया गया, तो इसे राज्य अतिथि में बदल दिया गया. सत्तर के दशक के अंत में इसे कुछ समय के लिए राज्य अतिथि गृह-सह-पर्यटक बंगले में बदल दिया गया. साल 1981 में राजभवन को पीटर हॉफ से इस भवन में स्थानांतरित कर दिया गया था.


यहीं हुआ था ऐतिहासिक शिमला समझौता


बार्नस कोर्ट की इसी ऐतिहासिक इमारत में भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौते पर 3 जुलाई, 1972 को यहां हस्ताक्षर किए गए थे. भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो ने समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. उस समय की दुर्लभ तस्वीरें और टेबल-कुर्सियां यहां प्रदर्शित की गई हैं. भुट्टो और उनकी बेटी बेनजीर भुट्टो, जो बाद में पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनीं, यहीं बार्नस कोर्ट में ठहरे थे. राजभवन के पूर्वी क्षेत्र में दो आकर्षक लॉन हैं. यहां के ऊपरी लॉन में यज्ञ शाला, भगवान शिव और भगवान हनुमान के मंदिर स्थापित किए गए हैं. भवन के पश्चिमी ओर भी एक लॉन है और परिसर के चारों ओर औषधीय पौधे, सजावटी पौधे और फूलों की क्यारियां बनाई गई है. यहां सेना प्रशिक्षण कमान की ओर से भेंट स्वरूप दी गई तोप भी रखी गई है. राजभवन के प्रवेश द्वार के दाईं ओर राजभवन सचिवालय है. यह भवन भी धरोहर परिक्षेत्र का हिस्सा है.


दरबार हॉल में राष्ट्रपिता की शिमला यात्रा के चित्र


मौजूदा राजभवन की दो मंजिला दरबार हॉल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शिमला यात्रा के चित्रइमारत में राज्यपाल का कार्यालय और आवास है. भूतल में समिति कक्ष (शिखर कक्ष) और दरबार हॉल (कीर्ति कक्ष) है. यहां औपचारिक समारोह का आयोजन किया जाता है. दरबार हॉल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शिमला यात्रा के चित्र प्रदर्शित किए गए हैं. दीवारों पर आजादी से पूर्व के हथियार प्रदर्शित किए गए हैं. समिति कक्ष के साथ वनशोभा कक्ष है, जहां राज्यपाल से भेंट करने आए प्रतिनिधि और अन्य बैठकें आयोजित की जाती हैं. फ्रंट पोर्च से प्रवेश करने पर आदित्य कक्ष है, जहां विशिष्ट व्यक्तियों के साथ राज्यपाल मुलाकात करते हैं. इसके साथ ही यहां मधुरिमा हॉल है जो' हाई-टी' और विशिष्ट अतिथियों के भोज के लिए उपयोग में लाया जाता है. इसके इमारत के भूतल में ही परशु कक्ष है, जहां पूल टेबल और धरोहर चित्र प्रदर्शित हैं. यहां स्थापित बिलियर्ड्स टेबल अंग्रेज अपने साथ लाये थे, जिसे आज तक यहां संरक्षित रखा गया है.


धज्जी दीवारों से बना है सुपर-स्ट्रक्चरS


इस दो मंजिला इमारत की नींव पत्थर की चिनाई से बनी है. सुपर-स्ट्रक्चर धज्जी दीवारों से बना है. इनका निर्माण पारंपरिक मिट्टी और लकड़ी के खंभों से किया गया है. भूतल पर स्लैब लकड़ी के तख्तों से बना है, जो लकड़ी के राफ्टरों पर टिका हुआ है. भूतल में ही कीर्ति कक्ष के ऊपर लकड़ी का स्लैब लकड़ी की पट्टियों से टिका हुआ. कीर्ति कक्ष से सटे पश्चिम की ओर एक दीर्घा है, जहां पहले के राज्यपालों को समय-समय पर भेंट स्वरूप दी गई कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है.