HP Politics: हिमाचल प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस की वापसी हो चुकी है. इस बीच प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह (Virbhadra Singh) की प्रतिमा रिज मैदान पर स्थापित करने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है. बुधवार को शिमला जिला परिषद (Shimla Jila Parishad) की बैठक में इसे लेकर प्रस्ताव पारित भी कर दिया गया. बैठक में छह महीने के अंदर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की प्रतिमा स्थापित करने के लिए सरकार से आग्रह किया गया है.


पहले दो बार पारित हो चुका है यही प्रस्ताव


इससे पहले भी शिमला जिला परिषद की बैठक में यह प्रस्ताव दो बार पारित हो चुका है. हालांकि, कांग्रेस की सरकार आने के बाद यह पहली बार है, जब इस प्रस्ताव को पारित किया गया है. शिमला जिला परिषद के सदस्यों का कहना है कि कांग्रेस सरकार को जल्द से जल्द पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की प्रतिमा प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार के साथ स्थापित करनी चाहिए. शिमला जिला परिषद के सदस्यों ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को आधुनिक हिमाचल के निर्माता की संज्ञा दी है. गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान भी कांग्रेस के कद्दावर नेता पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को आधुनिक हिमाचल का निर्माता बताते रहे हैं. प्रदेश में कांग्रेस की वापसी पर अब वीरभद्र सिंह की प्रतिमा जल्द से जल्द स्थापित होने की उम्मीद जताई जा रही है.


कैसा रहा था पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह का सियासी सफर?


पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून 1934 को शिमला जिले के सराहन में बुशहर रियासत के शाही परिवार में हुआ था. उनकी स्कूली शिक्षा शिमला के बिशप कॉटन स्कूल से हुई. इसके बाद उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीए ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की. छह बार हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुके पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने 1962 से महासू लोकसभा क्षेत्र से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. पहली बार महासू से चुनकर तीसरी लोकसभा के सदस्य बने. वे जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी के कहने पर राजनीति में आए थे. साल 1967 में इसी संसदीय क्षेत्र से दूसरी बार सांसद चुने गए. इसके बाद शिमला लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने पर वीरभद्र सिंह ने 1971 में मंडी लोकसभा क्षेत्र को अपनी कर्मभूमि बनाया.


60 साल तक सक्रिय राजनीति में रहे वीरभद्र सिंह


अपने 60 साल के राजनीतिक सफर के दौरान उन्होंने कुल 14 चुनाव लड़े. वे आठ बार विधायक, छह बार प्रदेश के मुख्यमंत्री और पांच बार लोकसभा के सदस्य रहे. वीरभद्र सिंह 1962, 1967, 1971, 1980 और 2009 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए. इसके अलावा वे 1983, 1985, 1990, 1993, 1998, 2003, 2009, 2012 और 2017 में विधायक रहे. 1983, 1985, 1993, 1998, 2003 और 2012 में उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया.


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