Himachal Pradesh: कर्ज के बोझ तले दबे पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के आर्थिक हालत किसी से छिपी नहीं है. राज्य सरकार को कर्मचारियों का वेतन और रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन देने के लिए लोन लेना पड़ता है. इन सबके बाद राज्य सरकार के पास प्रदेश के विकास के लिए नाममात्र का ही पैसा बचता है.


इस बीच रिटायर्ड कर्मचारियों को एक्सटेंशन देने पर भी लगातार सवाल खड़े होते रहते हैं. हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक बार फिर तहसीलदार एचएल घेज्टा को छह महीने का सेवा विस्तार दिया है, लेकिन इस बार इस सेवा विस्तार का विरोध नहीं हो रहा बल्कि यह तहसीलदार किसी और ही वजह से चर्चा का विषय बन गए हैं.


एक रुपये वेतन पर करेंगे काम
तहसीलदार एचएल घेज्टा ने एक बड़ी मिसाल पेश की है. 31 अगस्त को वे तहसीलदार के पद से सेवानिवृत हुए. राज्य सरकार ने उन्हें छह महीने का एक्सटेंशन दे दिया. इस बीच उन्होंने घोषणा की है कि वह अपना वेतन नहीं लेंगे. वह सिर्फ एक रुपये टोकन मनी के तौर पर ही लिया करेंगे. इस संबंध में उन्होंने जिला शिमला उपायुक्त अनुपम कश्यप को भी पत्र लिखा है. वे 36 साल तक राजस्व विभाग में कार्यरत रहे हैं. सेवानिवृत्ति के वक्त उनका वेतन 1.06 लाख रुपये था.


अब सेवा विस्तार के दौरान वह सरकार और जनता के लिए काम तो करेंगे, लेकिन वेतन के तौर पर सिर्फ एक ही रुपये लेंगे. राज्य में ऐसे कई बड़े रिटायर्ड आईएएस अधिकारी भी हैं, जो एक्सटेंशन पर हैं और लाखों रुपये वेतन ले रहे हैं.


राज्य भर में हो रही चर्चा 
बता दें, एचएल घेज्टा इससे पहले नायब तहसीलदार के तौर पर भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं. वह राजस्व अधिकारी-कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष भी रहे हैं. घेज्टा मूल रूप से चौपाल के रहने वाले हैं. एचएल घेज्टा की गिनती हिमाचल के ईमानदार अधिकारियों के तौर पर होती है.  एचएल घेज्टा का अब एक रुपये वेतन के तौर पर लेना चर्चा का विषय बना हुआ है. गौरतलब हो कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रधान आईटी सलाहकार गोकुल बुटेल भी अपना लाखों रुपये का वेतन छोड़ एक रुपये ही वेतन लेते हैं.


ये भी पढ़ें: हिमाचल में कर्मचारी संघ के 5 नेताओं के खिलाफ प्रिविलेज मोशन का नोटिस, जल्द हो सकती है बड़ी कार्रवाई