Rashtrpati Niwas Shimla: शिमला के मशोबरा स्थित राष्ट्रपति निवास में शरद उत्सव यानी विंटर फेस्ट आयोजित होने जा रहा है. शनिवार सुबह 10 बजे विंटर फेस्ट की शुरुआत होगी और शाम 4:30 बजे तक चलेगा. यह पहली बार है, जब राष्ट्रपति निवास में इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है. विंटर फेस्ट में हिमाचली संस्कृति के रंग नजर आने वाले हैं. इसके साथ ही यहां लोग पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद भी चख सकेंगे. 


विंटर फेस्ट में हिमाचल प्रदेश पुलिस का बैंड हार्मनी ऑफ पाइंस और इंडियन आइडल फेम नेहा दिक्षित प्रस्तुति देने के लिए पहुंचेंगे. इस शरद उत्सव में एंट्री फ्री होगी. गौर हो कि साल 2023 के अप्रैल महीने में आम जनता के दीदार के लिए भी राष्ट्रपति निवास को खोला गया है. इसके बाद से अब तक लाखों लोग राष्ट्रपति निवास का दीदार कर चुके हैं.


ऐतिहासिक है राष्ट्रपति निवास की इमारत
मौजूदा वक्त में जहां राष्ट्रपति निवास है, उस इमारत का निर्माण साल 1850 में हुआ था. इस ऐतिहासिक इमारत का निर्माण कोटी के राजा ने करवाया था. पूरे देश में राष्ट्रपति के तीन ही निवास हैं. इनमें दिल्ली के राष्ट्रपति भवन के अलावा हैदराबाद, देहरादून और शिमला के राष्ट्रपति निवास शामिल हैं. दि रिट्रीट मशोबरा राष्ट्रपति का समर रिट्रीट है. 


यहां देश के राष्ट्रपति ग्रीष्मकालीन प्रवास पर आते हैं. साल 1860 में एम.सी. कमिश्नर लॉर्ड विलियम ने कोटि के राजा से इस इमारत को लीज पर लिया. उस वक्त उन्होंने इस भवन को लीज पर लेने के लिए 2 हजार 825 रुपये की भारी-भरकम राशि चुकाई थी. साल 1890 में चल कर इस इमारत में दो मंजिल बनवाई गई. यह ऐतिहासिक इमारत 10 हजार 628 वर्ग फीट में फैली है.


आजादी से पहले यहां रहते थे वायसराय
आजादी से पहले इस ऐतिहासिक इमारत में वायसराय रहा करते थे. वे ऑब्जर्वेटरी हिल पर बने वायसराय लॉज की इमारत से वीकेंड पर यहां आया करते थे. वायसराय लॉज की इस इमारत को आज इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी के नाम से जाना जाता है, जो साल 1888 में बनकर तैयार हुई थी. इसी राष्ट्रपति निवास के गार्डन में सूर्य घड़ी भी है. 


यह सूर्य घड़ी ब्रिटिश शासनकाल के दौरान लगाई गई थी. इस घड़ी को यहां करीब डेढ़ सौ साल का वक्त बीत चुका है. इसे ब्रास तैयार किया गया है और यह आज भी नई जैसी ही दिखाई देती है. इस घड़ी में वक्त देखने के लिए सूर्य की किरणों का इस्तेमाल होता है और एक फार्मूला लगाकर भारतीय समयानुसार वक्त जाना जा सकता है.


राष्ट्रपति निवास के प्रांगण से दिखते हैं 12 पहाड़


राष्ट्रपति निवास के प्रांगण से ही 12 अलग-अलग पहाड़ियां दिख जाती हैं. यह नजारा देखते ही बनता है. राष्ट्रपति निवास के प्रांगण से पार्वती पर्वत नजर आता है, जिसकी ऊंचाई 6 हजार 632 मीटर है. इसके अलावा यहां से 2 हजार 868 मीटर की ऊंचाई पर शाली, 6 हजार 230 मीटर की ऊंचाई पर पिरामिड, 4 हजार 702 मीटर की ऊंचाई पर दुंगा थुआ, 5 हजार 195 मीटर की ऊंचाई पर श्रीखंड महादेव, 5 हजार 629 मीटर की ऊंचाई पर कोकशेन और 5 हजार 672 मीटर की ऊंचाई पर गुशुपिशु पहाड़ी नजर आती है. 


इसके अलावा यहां 5 हजार 306 मीटर की ऊंचाई पर धनपाल, 5 हजार 177 मीटर की ऊंचाई पर घटकांडा, 5 हजार 229 मीटर की ऊंचाई पर दुगेसिरा, 2 हजार 975 मीटर की ऊंचाई पर छिछर टिब्बा और 5 हजार 386 मीटर की ऊंचाई पर पंडोसवर पहाड़ी दिखाई देती है.


राष्ट्रपति निवास की ठीक सामने खूबसूरत गार्डन
राष्ट्रपति निवास 'दि रिट्रीट' के ठीक सामने एक गार्डन भी है. इस गार्डन में ट्यूलिप लगाए गए हैं. यहां डेनमार्क, लैपटॉप और येलो ट्यूलिप लगे हुए हैं. इसके अलावा यहां कॉपर ब्रीच के दो पेड़ हैं, जो हर 25 दिन बाद अपना रंग बदल लेते हैं. इसी तरह का एक अन्य पेड़ चायल पैलेस और होटल वाइल्ड फ्लावर में भी है. राष्ट्रपति निवास के परिसर में ही तीन कुएं भी हैं, जिससे यहां पौधों को पानी भी दिया जाता है. 


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