शिमला में भारी बारिश ने बर्बाद किए सेब के बगीचे, मलबे की वजह से सालों की मेहनत पानी में
Himachal Rain News: हिमाचल प्रदेश में मानसून की बारिश से भारी नुकसान हुआ है. चौपाल के तारापुर गांव में सेब के बाग बह गए, जिससे बागवानों की मेहनत बर्बाद हो गई. अवैध डंपिंग की वजह से नुकसान हुआ.
Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में मानसून की बारिश जमकर कर बरपाती हुई नजर आ रही है. मानसून में बारिश राहत की जगह लोगों के लिए आफत साबित हो रही है.
अब तक बारिश की वजह से सरकारी संपत्ति के साथ निजी संपत्ति को भी करोड़ों रुपए का नुकसान हो चुका है. शनिवार देर रात शुरू हुई बारिश ने जिला शिमला के चौपाल में सेब के बगीचों को ही बर्बाद कर दिया. यहां मेहनतकश बागवानों की कई सालों की मेहनत चंद मिनटों में पानी हो गई.
Himachal Pradesh: जिला शिमला के चौपाल की पौड़ियां ग्राम पंचायत के तारापुर गांव में बारिश की वजह से भारी नुकसान हुआ है. यहां पानी का तेज बहाव मेहनतकश बागवानों के सेब के पेड़ों को बहाकर ले गया. इससे करोड़ों रुपए के नुकसान का आंकलन है.@ABPNews #shimla #himachal pic.twitter.com/10drq7Vjkh
— Ankush Dobhal🇮🇳 (@DobhalAnkush) August 11, 2024
तारापुर गांव में बारिश की वजह से भारी नुकसान
जिला शिमला के चौपाल की पौड़ियां ग्राम पंचायत के तारापुर गांव में बारिश की वजह से भारी नुकसान हुआ है. यहां पानी का तेज बहाव मेहनतकश बागवानों के सेब के पेड़ों को बहाकर ले गया. भारी बारिश की वजह से यहां फ्लैश फ्लड जैसे हालात पैदा हो गए. बारिश अपने साथ बड़ी संख्या में मिट्टी और पत्थर बहाकर लाई.
इसकी वजह से तारापुर गांव के सेब बागवान अमर सिंह, मोहन सिंह, प्रताप सिंह, सुरेंद्र, भूपेंद्र और रोशन लाल के फलदार सेब के पेड़ों को मलबे की वजह से भारी नुकसान हुआ. यही नहीं, गंगिया गांव के बागवान चेतराम का सेब का शेड और सेब की पेटियों को भी नुकसान पहुंचा.
बारिश से आए मलबे की वजह से सालों की मेहनत पानी
तारापुर के लोगों का आरोप है कि कोटी और घनग सड़क का मलबा नाले में डाला जा रहा है. जब बारिश हुई, तो इसकी वजह से मलबा बहकर बगीचों में आ गया. इसके बाद सेब के बगीचे पूरी तरह तबाह हो गए. इससे साल भर की मेहनत मिनटों में पानी हो गई. सेब बागवानों ने स्थानीय प्रशासन से फौरी मदद की मांग उठाई है.
इसके अलावा नाले में अवैध रूप से मलबा डाल रहे लोगों पर कार्रवाई करने की भी मांग उठाई जा रही है. यह पहली बार नहीं है, जब इस तरह अवैध रूप से नाले में डाले जा रहे मलबे ने नुकसान किया हो. साल 2023 में शिमला शहर में 80 फीसदी नुकसान अवैध डंपिंग की वजह से ही हुआ था. बावजूद इसके न तो प्रशासन ने कोई सख्ती बरती और न ही लोगों ने कोई सीख ली है.
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