Special Schools for Divyang Students: शिमला के ढली में बने विशेष बच्चों के स्कूल के टीचर्स बीते आठ दिनों से हड़ताल कर रहे हैं. टीचर्स की हड़ताल की वजह से दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है. बीते करीब एक हफ्ते से बच्चे सुबह स्कूल जाते हैं. दोपहर का खाना खाते हैं और शाम को वापस लौट आते हैं. बच्चे बीते एक हफ्ते से कोई पढ़ाई नहीं कर रहे. ऐसे में इन बच्चों के अभिभावक खासे परेशान हैं. अपनी परेशानी को लेकर अभिभावकों ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मिलने का मन बनाया और अपनी समस्या बताने ओक ओवर पहुंचे.


मुख्यमंत्री से मुलाकात करने के लिए पहुंचे अभिभावक


मुख्यमंत्री से मुलाकात करने के लिए पहुंचे दिव्यांग बच्चों के अभिभावकों ने बताया कि टीचर्स बीते करीब एक हफ्ते से हड़ताल पर हैं. टीचर्स की मांग है कि सरकार उन्हें नियमित करें, ताकि वह अपने घर-परिवार का गुजर-बसर कर सकें. टीचर्स अपनी मांगों को लेकर कक्षाओं का बॉयकॉट कर रहे हैं. ऐसे में उनके बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है. अभिभावकों का कहना है कि बच्चों को स्कूल में सिर्फ खाना खाने के लिए नहीं भेजते, बल्कि भविष्य बनाने के लिए भेजते हैं. ऐसे में सरकार को शिक्षकों के साथ बात करने के बाद स्ट्राइक को खत्म करवाना चाहिए, ताकि बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो. दिव्यांग बच्चों के यह अभिभावक भी टीचर्स की मांग पूरी करने की बात कर रहे हैं.


आखिर क्यों हड़ताल कर रहे हैं टीचर्स?


वहीं, विशेष बच्चों के इस स्कूल के टीचर्स का कहना है कि वह लंबे वक्त से यहां सेवाएं दे रहे हैं. प्रदेश भर में विशेष बच्चों के लिए केवल दो ही स्कूल हैं. जिला मंडी के सुंदरनगर का स्कूल लड़कियों के लिए, जबकि शिमला का स्कूल लड़कों के लिए है. सुंदरनगर का स्कूल पूरी तरह सरकार के अधीन है, जबकि लड़कों के लिए शिमला वाला स्कूल हिमाचल बाल कल्याण परिषद के तहत आता है. ऐसे में यह शिक्षक मांग उठा रहे हैं कि सुंदरनगर के स्कूल की तर्ज पर ही शिमला के स्कूल को भी सरकार अपने अधीन ले. इससे न केवल शिक्षक नियमित होंगे, बल्कि बच्चों को भी बेहतर सुविधा मिल सकेगी.


साल 2016 से ब्रेल इंस्ट्रक्टर का पद खाली


शिक्षकों ने बताया कि साल 2016 से यहां ब्रेल इंस्ट्रक्टर का पद खाली पड़ा हुआ है. ऐसे में जेबीटी शिक्षकों को ही यह काम भी करना पड़ रहा है. शिमला स्थित विशेष बच्चों के स्कूल में 136 बच्चे पढ़ते हैं. यहां 25 लोगों का स्टाफ है. इसमें 18 टीचिंग और अन्य नॉन टीचिंग स्टाफ शामिल है. स्कूल में काम कर रहे क्लास का कर्मचारियों को केवल आठ हजार रुपए का वेतन मिलता है, जबकि शिक्षकों का वेतन भी 10 हजार रुपए से 16 हजार रुपए तक ही है. इससे भी बच्चों को परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा कि स्ट्राइक के जरिए बिना केवल अपने नियमितीकरण की मांग उठा रहे हैं, बल्कि बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए यहां शिक्षकों के पद भरने के लिए भी मांग कर रहे हैं.


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