Himachal News: देशभर में हर महीने की आखिरी तारीख को सैकड़ों की संख्या में टीचर, प्रिंसिपल, हेडमास्टर और प्रोफेसर रिटायर होते हैं. यह एक निमियत प्रक्रिया है. लेकिन, शिमला स्थित हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग (ICDEOL) के प्रो. अजय श्रीवास्तव की विदाई समारोह के दौरान नजारा कुछ और ही देखने को मिला. प्रोफेसर अजय श्रीवास्तव की रिटायरमेंट पर दिव्यांग बच्चों ने विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया. इस दौरान बच्चों ने प्रोफेसर के साथ अपने अनुभवों को साझा किया और फिर भावुक हो उठे.


किसी ने प्रो. श्रीवास्तव को पिता तुल्य बताया. किसी ने महाभारत में भगवान कृष्ण की तरह सारथी, तो किसी ने प्रोफेसर अजय श्रीवास्तव (Prof. Ajai Srivastava) को पिता से भी ऊपर की संज्ञा दी. दरअसल, प्रो. अजय श्रीवास्तव हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (HPU Shimla) के साथ प्रदेशभर के दिव्यांग बच्चों के लिए लंबे वक्त से काम कर रहे हैं. एक वक्त ऐसा था, जब हिमाचल प्रदेश में दिव्यांग बच्चों को संस्थानों में एडमिशन तक देने में आनाकानी की जाती थी और एक आज का वक्त है, जब प्रदेश भर के दिव्यांग बच्चे न केवल अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं, बल्कि खुद शिक्षक बन बच्चों के जीवन में उजाला फैलाने का भी काम कर रहे हैं. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (Himachal Pradesh University) के पत्रकारिता विभाग से रिटायर होने वाले प्रो. अजय श्रीवास्तव विश्वविद्यालय के दिव्यांग मामलों के नोडल अधिकारी भी हैं. साथ ही वे दिव्यांगों के अधिकारों के लंबे समय से काम कर रही उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष भी हैं.



पत्रकारिता से की थी करियर की शुरुआत


पत्रकारिता से अपने करियर की शुरुआत करने वाले प्रो. अजय श्रीवास्तव कई नामी अखबारों में काम कर चुके हैं. लंबा वक्त पत्रकारिता में गुजारने के बाद वे शिक्षा के क्षेत्र में आए. यहां उन्होंने दिव्यांग बच्चों के लिए काम करना शुरू किया. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में शिक्षक के तौर पर आखिरी दिन उनके साथ जुड़े बच्चे आनंदित होकर जश्न मनाने जा रहे थे, लेकिन इस दिन को भी उनके गुरु अजय श्रीवास्तव ने खास दिन में बदल दिया. बच्चों ने पार्टी में एंजॉय तो किया ही, लेकिन इस कार्यक्रम को दिव्यांगों के अधिकार के बारे में जानकारी देने के लिए वर्कशॉप के तौर पर तब्दील कर दिया गया. कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा मौजूद रहे. कार्यक्रम की अध्यक्षता भी हिमाचल प्रदेश सरकार में एडवोकेट जनरल के पद पर अनूप रतन ने की. वे चाहते थे कि बच्चों का समय व्यर्थ न जाए और बच्चे अपने अधिकारों के बारे में ज्यादा जानकारी ले सकें.


प्रतिभा का लोहा मनवा रहे बच्चे


हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के साथ प्रदेश भर के अन्य संस्थानों में अध्ययनरत दिव्यांग बच्चे आज अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं. हाल ही में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में संगीत विषय में पीएचडी कर रही 100 फ़ीसदी दृष्टिबाधित मुस्कान असिस्टेंट प्रोफेसर बनी हैं. इसके अलावा 70 फ़ीसदी दृष्टिबाधित प्रतिभा ठाकुर ने भी राजनीति शास्त्र में असिस्टेंट प्रोफेसर बनकर कमाल कर दिखाया है. घुमारवीं की रहने वाली दृष्टिबाधित अंजना भी सरकारी नौकरी कर रही हैं. इसके अलावा संस्था से जुड़े अन्य शोधार्थी सवीन जहां, अंजना कुमारी, संगीता, मुकेश कुमार, विनोद योगाचार्य, अमृता नेगी, दीक्षा वशिष्ठ, श्वेता शर्मा और ऋतु वर्मा अपने क्षेत्र में दमखम दिखा रहे हैं.