126th birth anniversary of Netaji Subhash Chandra Bose: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती को आज देश पराक्रम दिवस के रूप में मना रहा है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस का हिमाचल प्रदेश से विकास नाता रहा है. देश के स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले नेताजी का जन्म 23 जनवरी 1897 में ओडिशा के कटक में हुआ था. 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' का नारा देने वाले नेताजी ने स्वतंत्रता की लड़ाई में आम लोगों में जोश पैदा करने का काम किया था. साल 1937 में सुभाष चंद्र बोस ने डलहौजी में करीब सात महीने का समय बिताया था.


पैरोल पर डलहौजी आए थे नेताजी
नेता जी सुभाष चंद्र बोस को देश की आजादी की लड़ाई के लिए ब्रिटिश अधिकारियों ने जेल में बंद कर रखा था. जेल में जब सुभाष चंद्र बोस की तबीयत बिगड़ने लगी, तो उन्हें पैरोल पर स्वास्थ्य लाभ के लिए बाहर भेजा गया. स्वास्थ्य लाभ के लिए नेताजी ने किसी और जगह को नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश के जिला चंबा के डलहौजी को चुना. नेताजी यहां रोजाना बावड़ी पर सुबह पानी पीने आया करते थे. करीब सात महीने तक इन खूबसूरत वादियों में रहने के बाद नेताजी यहां से स्वस्थ होकर लौटे. आज इस बावड़ी को सुभाष बावड़ी के नाम से ही जाना जाता है.


नेताजी की यादों का अवलोकन करने आते हैं पर्यटक
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के डलहौजी आने को लेकर एक और किस्सा भी बेहद प्रचलित है. जब नेता जी डलहौजी आए तो वह चाहते थे कि वह किसी ऐसे स्थान पर रुके जिसका नाम भारतीय हो, लेकिन उनके दोस्त डॉक्टर धर्मवीर ने उन्हें अपने निजी बंगले में ठहराया. इस बंगले का नाम कायनांस था. आज भी डलहौजी की गांधी चौक के पास पंजपुला मार्ग पर कायनांस बंगला है. इस जगह पर आज भी लाखों लोग नेताजी की यादों का अवलोकन करने के लिए आते हैं. यहां आने वाले पर्यटकों में बड़ी संख्या पश्चिम बंगाल के लोगों की रहती है.


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