Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार के CPS को लग सकता है झटका! खतरे में CM के 'चहेतों' की कुर्सी?
Himachal Pradesh CPS: हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति नियमों के तहत की गई है और सरकार मामले में हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करेगी.
Himachal Pradesh government CPS: हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) के नेतृत्व वाली सरकार में मुख्य संसदीय सचिवों की कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा है. हिमाचल में मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति के खिलाफ पीपल फॉर रिस्पांसिबल गवर्नेंस संस्था (People for Responsible Governance Organization) ने याचिका दायर की है. मामले में सुनवाई 21 अप्रैल को होनी है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High Court) ने मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. 8 जनवरी 2023 को सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने छह मुख्य संसदीय सचिवों को शपथ दिलवाई थी. 8 जनवरी का दिन हिमाचल प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार के लिए निहित था.
मंत्रियों के शपथ से तुरंत पहले राज्य सचिवालय में मुख्य संसदीय सचिवों का शपथ ग्रहण हो गया. प्रदेश भर के लोगों के लिए यह किसी अचंभे से कम नहीं था. जानकार मान रहे थे कि प्रदेश में मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति नहीं की जाएगी. क्योंकि पूर्व में वीरभद्र सिंह सरकार के वक्त बनाए गए सीपीएस को भी हटाना पड़ा था. ऐसे में जब सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार में सीपीएस बनाए गए, तो यह सभी के लिए किसी अचंभे से कम नहीं था.
याचिका ने बढ़ाई सुक्खू सरकार की परेशानी
विपक्षी दल बीजेपी इस पर सवाल खड़े करती रही, लेकिन कोर्ट का रास्ता अख्तियार नहीं किया. इस बीच पीपल फॉर रिस्पांसिबल गवर्नेंस संस्था की ओर से दायर की गई याचिका अब सरकार की परेशानी बढ़ा रही है. हालांकि, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति नियमों के तहत की गई है और सरकार मामले में हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करेगी.
मामले में 21 अप्रैल को होगी सुनवाई
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने संस्था के आवेदन को स्वीकार करते हुए सरकार को नोटिस जारी किया है. मामले में हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने सरकार से मामले में जवाब मांगा है. इस मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को तय की गई है. इससे पहले साल 2016 में बनाए गए नौ सीपीएस के खिलाफ हाईकोर्ट के सामने हिमाचल प्रदेश मुख्य संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं अधिनियम 2006 को चुनौती दी गई थी. अब तक यह मामला हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में लंबित है.
सभी मुख्य सचिवों को दिए जा रहे हैं इतने वेतन
उस समय भी याचिकाकर्ता ने नौ मुख्य संसदीय सचिवों को प्रतिवादी बनाया था. संस्था ने अपने आवेदन के माध्यम से हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय को यह बताया है कि पुरानी सरकार अब बदल चुकी है और मामले का निपटारा करने के लिए नए मुख्य संसदीय सचिवों को प्रतिवादी बनाया जाना जरूरी है. सभी मुख्य सचिवों को हर महीने 2 लाख 20 हजार रुपये वेतन और भत्ते के रूप में दिए जा रहे हैं. याचिका में आरोप लगाया गया है इस सीपीएस की नियुक्ति कानूनों के प्रावधान के खिलाफ है.
15 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती मंत्रिमंडल की संख्या
आवेदन में यह भी कहा गया है कि मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने भी गैर कानूनी ठहराया है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 में किए गए संशोधन के मुताबिक किसी भी राज्य में मंत्रियों की संख्या विधायकों की कुल संख्या का 15 फीसद से अधिक नहीं हो सकता. हिमाचल प्रदेश में नियुक्त करने के बाद मंत्रियों की संख्या 15 से अधिक हो गई है. याचिका में कहा गया है कि सरकार ने सब कुछ जानते हुए भी गलत तरीके से सीपीएस की नियुक्ति की है.
सरकार को लग सकता है बड़ा झटका!
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट अगर मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को गलत ठहरा जाता है, तो यह सुक्खू सरकार के लिए बड़ा झटका हो सकता है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सरकार बनने के बाद समीकरण साधने के लिए मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति की है. अगर यह छह मुख्य संसदीय सचिव हटाए जाते हैं, तो सीएम सुक्खू के सामने एक बार फिर समीकरण साधने की बड़ी चुनौती बन जाएगी. हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल में अभी नौ सदस्यों को ही जगह दी गई है, जबकि मुख्यमंत्री को मिलाकर मंत्रिमंडल में कुल 12 सदस्य हो सकते हैं. हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा से भी अब तक केवल एक मंत्री बनाया गया है. कांगड़ा कोटे से भी दो मंत्री पद फिलहाल खाली पड़े हुए हैं.
यह हैं सरकार के मुख्य संसदीय सचिव
कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, बैजनाथ से किशोरी लाल, दून से राम कुमार, अर्की से संजय अवस्थी, पालमपुर से आशीष बुटेल और रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा सुक्खू सरकार में मुख्य संसदीय सचिव हैं.
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