Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के आर्थिक हालात को लेकर इन दिनों राष्ट्रीय स्तर पर खूब चर्चाएं देखने को मिल रही हैं. हाल ही में हुए हरियाणा और जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने हिमाचल की आर्थिक संकट को बड़ा मुद्दा बना दिया है. अब झारखंड और महाराष्ट्र राज्य के विधानसभा चुनाव के दौरान भी रह रहकर हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति का जिक्र सामने आने लगे हैं. ऐसे में हम समझने की कोशिश करेंगे कि कम संसाधनों वाले छोटे से पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के आर्थिक हालत आखिर कैसे हैं?


कैसी है हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति?


मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का दावा है कि हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति बिलकुल ठीक है. हालांकि, इसी साल विधानसभा में मानसून सत्र के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में एक वक्तव्य देते हुए यह माना था कि राज्य की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. अपने एक बयान में मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि जब दिसंबर 2022 में उन्होंने सत्ता संभाली थी, तब हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति खराब थी. 


अब कांग्रेस सरकार ने हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी को पटरी पर ला दिया है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह हिमाचल प्रदेश को साल 2027 तक आत्मनिर्भर और साल 2032 तक देश भर का नंबर वन राज्य बनाने का भी दम भर रहे हैं.


58,444 करोड़ का बजट


हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार राज्य को आत्मनिर्भर हिमाचल बनाने का दावा कर रही है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए साल 2024-25 के लिए 58,444 करोड़ रुपए के आकार का बजट पेश किया गया है. इससे पहले साल 2023-24 के दौरान प्रदेश की अर्थव्यवस्था की अनुमानित वृद्धि दर 7.1 फीसदी रही. राज्य में प्रति व्यक्ति आय 2 लाख 35 हजार 199 रुपए और राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (GDP of Himachal Pradesh) 2 लाख 7 हजार 430 करोड़ रुपए रहा.


हिमाचल सरकार पर 87000 का कर्ज


मौजूदा वक्त में हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति का आलम यह है कि हिमाचल प्रदेश के हर नागरिक पर 1 लाख 16 हजार 180 रुपए का कर्ज है. यह अरुणाचल प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा है. हिमाचल प्रदेश सरकार पर करीब 87 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है.


सैलरी-पेंशन पर हर महीने 2000 करोड़ का खर्च


हिमाचल प्रदेश सरकार को अपने कुल बजट का करीब 42 फीसदी हिस्सा कर्मचारियों के वेतन और रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन देने पर खर्च करना पड़ता है. राज्य सरकार को कर्मचारियों का वेतन देने के लिए हर महीने 1 हजार 200 करोड़ रुपए और पेंशन देने के लिए 800 करोड़ रुपए की जरूरत होती है. 


भारत सरकार से राज्य सरकार को रिवेन्यू डिफिसिट ग्रांट हर महीने की 6 तारीख को मिलता है. इसके अलावा, हर महीने की 10 तारीख को भारत सरकार से केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी के रूप में 740 करोड़ रुपए आता है. 


कर्मचारियों को वेतन और रिटायर्ड कर्मचारियों को पेंशन देने के लिए राज्य सरकार को 7.5 फीसदी की ब्याज दर से अग्रिम लोन लेना पड़ता है. इस पर राज्य सरकार को हर साल 36 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं. दीपावली के मौके पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने वेतन के साथ चार फीसदी डीए की किस्त देकर कर्मचारियों के बीच वाहवाही लूटी. 


अक्टूबर महीने में कर्मचारियों और पेंशनर्स को एक साथ दो महीने का वेतन और पेंशन का भुगतान किया गया. डीए किस्त देने के लिए राज्य सरकार के करीब 600 करोड़ रुपए खर्च हुए.


आर्थिक मोर्चे पर बड़ी चुनौतियां


हिमाचल प्रदेश के लिए आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियां अब भी कम नहीं हुई हैं. हिमाचल प्रदेश सरकार के सामने अब डीए की बकाया किस्त और एरियर के साथ संशोधित वेतनमान के एरियर के 10 हजार करोड़ रुपए की रकम के भुगतान की भी चुनौती है. इससे पहले भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने छठे वेतन आयोग को लागू तो किया, लेकिन वेतनमान के एरियर की 50 हजार रुपए की ही एक ही किस्त दी थी. इससे इतर हिमाचल प्रदेश सरकार के पास अब लोन की सिर्फ 1 हजार 17 करोड़ रुपए की ही लिमिट बची है. 


ऐसे में दिसंबर महीने का वेतन में वेतन और पेंशन देने में राज्य सरकार को परेशानी कुछ हद तक कम होगी. आखिरी तिमाही के लिए केंद्र सरकार की ओर से राज्य सरकार को लोन की अलग लिमिट जारी की जाएगी. इसके लिए भी राज्य सरकार ने उदारता से लोन लिमिट जारी करने का आग्रह किया है. इसके बाद अगले वित्तीय वर्ष में रिवेन्यू डिफिसिट ग्रांट घट जाने से सरकार की परेशानी बढ़ जाएगी. 


CM सुक्खू ने सदन को क्या बताया था?


इसी साल अगस्त महीने में विधानसभा सत्र के दौरान हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन के समक्ष कुछ तथ्य रखे थे. मुख्यमंत्री ने बताया था कि हिमाचल प्रदेश में रिवेन्यू डेफिसिट ग्रांट, जो साल 2023-24 में 8 हजार 58 करोड़ रुपये थी. वह इस साल 1 हजार 800 करोड़ रुपये कम हो कर 6 हजार 258 करोड़ रुपये हो गई है. 


अगले साल 2025-26 में यह 3 हजार करोड़ रुपये और कम होकर 3 हजार 257 करोड़ रुपये रह जाएगी. PDNA की करीब 9 हजार 42 करोड़ रुपये की राशि में से केंद्र सरकार से अभी तक कोई भी राशि प्राप्त नहीं हुई है. NPS कंट्रीब्यूशन के लगभग 9 हजार 200 करोड़ रुपये PFRDA से प्राप्त नहीं हुए है, जिसका केंद्र सरकार से राज्य सरकार की ओर से कई बार अनुरोध कर चुके हैं.


GST कंपनसेशन 2022 के बाद से बंद 


मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि GST कंपनसेशन जून 2022 के बाद मिलना बंद हो गया है, जिससे हर साल करीब दो हजार 500 से तीन हजार करोड़ की आय कम हो गई है. OPS बहाल करने के कारण सरकार की कर्ज लेने की भी लगभग दो हजार करोड़ से कम कर दी गई है. इन परिस्थितियों से पार पाना आसान नहीं है. हिमाचल प्रदेश सरकार की आय बढ़ाने और अनुत्पादक व्यय  कम करने का प्रयास किया है. इन प्रयासों के परिणाम आने में समय लगेगा.


America Election Result: 'भगवा कपड़ा' पहने डोनाल्ड ट्रंप के मीम्स वायरल, कंगना रनौत ने शेयर कर दी जीत की बधाई