Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र आज से शुरू हो गया है. विधानसभा के पूर्व सदस्य खूब राम की मृत्यु पर शोक प्रकट करने के बाद विपक्ष ने नियम- 67 के तहत कार्य स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा मांगी. भारतीय जनता पार्टी हिमाचल प्रदेश में आई आपदा को पर चर्चा की मांग कर रही थी. इसी बीच विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि नियम- 102 के तहत इसी विषय पर सरकारी संकल्प शामिल किया जाना है. दोनों का विषय एक ही है. ऐसे में नियम- 102 के तहत चर्चा होगी.


विपक्ष में नियम- 67 के तहत चर्चा न दिए जाने पर विरोध किया और सदन से बाहर चले गए. इसके बाद हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुकून नियम- 102 के तहत सरकारी प्रस्ताव लाया. इस प्रस्ताव में हिमाचल प्रदेश में आई आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की गई.


हमने हिमाचल की आपदा को राज्य आपदा घोषित किया- CM सुक्खू 


हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में कहा कि उनके मंत्रियों ने आपदा प्रभावित तक राहत पहुंचाने के लिए ग्राउंड जीरो पर काम किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष आपदा के वक्त भी राजनीति कर रही है. भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है. विपक्ष की ओर से सिर्फ सुर्खियां बनने के लिए यह नौटंकी की जा रही है. इससे प्रदेश का भला नहीं होगा. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि चंद्रताल से 295 पर्यटकों को कैबिनेट मंत्री जगत सिंह नेगी ने खुद स्पॉट पर जाकर रेस्क्यू किया. कैबिनेट मंत्री जगत सिंह नेगी के साथ मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी जेसीबी में स्पॉट तक गए और ग्राउंड जीरो पर राहत पहुंचाने का काम किया. मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि 18 अगस्त 2023 को हिमाचल प्रदेश में आई आपदा को राज्य अब तक घोषित कर दिया गया है. अब सरकार मांग कर रही है कि केदारनाथ की तर्ज पर हिमाचल में आई आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए. उन्होंने हिमाचल प्रदेश में सत्ता पक्ष के विधायकों को अपने एक महीने का वेतन मुख्यमंत्री राहत आपदा कोष में देने पर आभार व्यक्त किया. साथ ही कर्मचारियों के भी एक दिन का वेतन कोष में दिए जाने पर आभार व्यक्त किया. मुख्यमंत्री ने विपक्षी दल भाजपा से भी आग्रह किया कि वह भी जल्द से जल्द अपने विधायकों का एक महीने का वेतन मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष- 2023 में दान कर दें.


CM सुक्खू ने पेश किया सरकारी प्रस्ताव 


मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि संकट के इस घड़ी में छोटे बच्चों ने भी अपना गुल्लक तोड़कर आपदा राहत कोष में दान दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि बेहद खुशी का विषय है कि रिटायर्ड कर्मचारी भी अपने पूरे महीने की पेंशन तक इस संकट की घड़ी में सरकार को दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह प्रदेश किसी सरकार या दल का नहीं है. प्रदेश सभी का है. ऐसे में सभी को मिलकर आपदा से निपटने के लिए काम करना है. दोपहर 3:05 पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सरकारी संकल्प पेश किया कि हिमाचल में आई आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दिया जाए. उन्होंने विपक्ष से भी इसके लिए सहयोग मांगा. वहीं, हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा है कि वह इस चर्चा में भाग लेने के लिए सभी को पर्याप्त समय देंगे.


नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कया कहा?


नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि वे नियम- 67 के तहत इसमें चर्चा चाहते थे. उन्होंने आपदा के बीच कोई राजनीति नहीं की. विपक्ष ने सदन के बाहर भी कुछ नहीं बोला और अपने अंदर बोलने से रोका जा रहा है. इस पर संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन ने आपत्ति जाहिर की. नेता प्रतिपक्ष राम ठाकुर ने कहा कि सरकार को जन भावनाओं का सम्मान करना चाहिए. पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने सदन में कहा कि सरकार ने आपदा से निपटने के लिए तैयारियां पूरी नहीं की. जो नियमित बैठकर मानसून से पहले होती थी, वह नहीं हुई. उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने बैठकें की होती, तो आपदा से हुए नुकसान को कम किया जा सकता था.


'राहत कार्य में हो रहा भाई-भतीजावाद'


नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में आपदा के बीच राहत कार्य में भाई-भतीजावाद फैलाने की कोशिश की जा रही है. इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि कहीं ऐसा कोई मामला सामने आया, जहां प्रभावित की जगह किसी अन्य को मदद मिली. वहां सरकार सख्त कार्रवाई करेगी. साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि हिमाचल प्रदेश में आपदा से पहले जो बैठकर प्रस्तावित होती थी, उन्हें भी समय पर किया गया. सरकार ने सभी उच्च अधिकारियों के साथ 21 जून को ही बैठक कर ली थी. अगली बैठक नवंबर में प्रस्तावित है और वह बैठक भी समय पर होगी. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि इस सरकारी प्रस्ताव की मंशा केंद्र सरकार पर ठीकरा फोड़ने की है. उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकार को कुछ करना ही नहीं है, तो आखिर राज्य सरकार है ही क्यों? उन्होंने कहा कि विपक्ष को कोई आपत्ति नहीं है कि केंद्र से और ज्यादा मदद मांगी जाए, लेकिन इस प्रस्ताव की मंशा केंद्र सरकार के खिलाफ है.


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