60 साल के हुए हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह, संघर्ष भरा रहा 'सुक्खू भाई' से 'CM साहब' तक का सफर
Sukhwinder Singh Sukhu Birthday: हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह 60 साल के हो गए हैं. उनका कॉलेज में क्लास रिप्रेजेंटेटिव से लेकर प्रदेश के चीफ मिनिस्टर बनने तक का सफर संघर्षों भरा रहा है.
CM Sukhu Birthday: ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल प्रदेश की राजनीति का एक जाना-पहचाना नाम हैं. साल 2022 में प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू ने देशभर की राजनीति में अपनी पहचान बनाई. साधारण पृष्ठभूमि से संबंध रखने वाले सुखविंदर सिंह सुक्खू के परिवार का राजनीति से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं था. पिता एचआरटीसी बस में ड्राइवर थे.
वे चाहते थे कि सुखविंदर भी कोई छोटी-मोटी सरकारी नौकरी कर घर परिवार का गुजर-बसर कर ले, लेकिन सुखविंदर सिंह ने कॉलेज में आते ही छात्र राजनीति की राह पकड़ ली. कॉलेज में ही सुखविंदर सिंह युवाओं के 'सुक्खू भाई' बन गए. सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कॉलेज में क्लास रिप्रेजेंटेटिव से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री चीफ मिनिस्टर तक बनने का सफर तय किया है.
साल 2003 में पहली बार विधायक बने थे सुखविंदर सिंह
सुखविंदर सिंह सुक्खू का जीवन संघर्षों से भरा रहा. आम परिवार से संबंध रखने वाले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दूध बेचकर अपने घर-परिवार का गुजर-बसर किया. खेलों के प्रति रुचि रखने वाले सुखविंदर सिंह सुक्खू का पढ़ाई में ज्यादा ध्यान नहीं लगता था. राजनीति में आने के बाद वे पहले एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष बने. इसके बाद उन्हें युवा कांग्रेस का भी अध्यक्ष बनाया गया.
इस बीच वे नगर निगम शिमला के पार्षद बने और साल 2003 में नादौन से पहली बार विधायक की कुर्सी तक पहुंचे. साल 2013 सुखविंदर सिंह हिमाचल कांग्रेस के अध्यक्ष बने और समर्थकों के 'प्रधान जी' हो गए. अपने राजनीतिक करियर में सुखविंदर सिंह के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वीरभद्र सिंह के साथ रिश्ते अच्छे नहीं रहे.
आज भी बरकरार है CM सुखविंदर सिंह का संघर्ष
साल 2022 में सुखविंदर सिंह सुक्खू को हिमाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री चुना गया. संघर्षों से निकले सुखविंदर सिंह का संघर्ष अब भी कम नहीं हुआ है. प्रदेश में अपनी सत्ता बचाने के लिए मुख्यमंत्री अब भी संघर्ष ही कर रहे हैं. सरकार चलाने के लिए उनका 'वन मैन आर्मी' की तरह प्रदेश को लेकर आगे बढ़ाना, उनके ही कई अपनों को रास नहीं आया और वह कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए.
बड़े सियासी संकट के दौरान हुई गलतियों के बावजूद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहकर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने साबित किया कि वे भी सियायत के माहिर हैं.
CM सुक्खू का रोल नंबर- 4057
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की मां संसार देई बताती हैं कि सुक्खू ने जब छात्र राजनीति में कदम रखा, तो वे इसे लेकर सहज नहीं थीं. वह चाहती थीं कि सुखविंदर सिंह सुक्खू कोई छोटी-मोटी सरकारी नौकरी कर लें, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो जाए. हर मां की तरह सुक्खू की मां संसार देई की चिंता भी अपने बेटे के लिए स्वभाविक थी, लेकिन सुखविंदर सिंह सुक्खू ने यह ठान लिया था कि वे राजनीति में ही अपना भविष्य बनाएंगे.
छात्र राजनीति के बाद पहले पार्षद फिर विधायक और अब सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर पहुंच गए हैं. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के कसुम्पटी स्कूल में सभी को बेहद गौरव के साथ वह रजिस्टर बार-बार खोल कर दिखाया जाता है, जहां 4057 रोल नंबर के आगे सुखविंदर सिंह का नाम लिखा गया है. उन्होंने 7 जून 1969 को पहली क्लास में एडमिशन लिया था.
संघर्षों से भरा रहा मुख्यमंत्री का जीवन
एचआरटीसी में ड्राइवर रहते हुए सुखविंदर सिंह सुक्खू के पिता रशिल सिंह को मात्र 90 रुपये की तनख्वाह मिलती थी, जिसमें छह लोगों का गुजारा करना होता था. आज हिमाचल प्रदेश की सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का जीवन संघर्षों से भरा रहा. सीएम के परिवार से कभी कोई राजनीति में नहीं रहा है.
एनएसयूआई के साथ छात्र जीवन से राजनीति की शुरुआत करने वाले सुखविंदर सिंह सुक्खू ने क्लास रिप्रेजेंटेटिव से लेकर चीफ मिनिस्टर तक का सफर तय किया है. वह एनएसयूआई के अध्यक्ष और यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष के पद से होते हुए हिमाचल कांग्रेस के भी अध्यक्ष रहे थे. छात्र जीवन के बाद उन्होंने पार्षद के तौर पर अपनी चुनावी राजनीति की शुरुआत की.
HRTC ड्राइवर के बेटे के हाथ में सत्ता की स्टीयरिंग
साल 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें हिमाचल कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष की कमान सौंपी गई थी. उस समय ही यह लगभग तय हो गया था कि सुखविंदर सिंह सुक्खू को ही हिमाचल कांग्रेस विधायक दल की कमान मिलने वाली है. एक आम एचआरटीसी ड्राइवर के बेटे सुखविंदर सिंह सुक्खू जनता के प्यार, समर्थकों के जोश, विधायकों के सहयोग और आलाकमान के आशीर्वाद से हिमाचल प्रदेश की राजनीति के शीर्ष पर हैं.