Himachal News: हिमाचल में दिखने लगा डीजल पर VAT बढ़ोतरी का असर, ट्रक यूनियन ने बढ़ाया माल ढुलाई भाड़ा
हिमाचल प्रदेश सरकार ने डीजल पर तीन रुपए वैट बढ़ाया है. इसका असर भी अब दिखने लगा है. एशिया की सबसे बड़ी ट्रक यूनियन बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ के साथ अन्य यूनियनों ने माल भाड़े में बढ़ोतरी कर दी है.
Diesel VAT Hike in Himachal: हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने डीजल पर तीन रुपए वैट बढ़ाया है. इसका असर अब नजर भी आने लगा है. एशिया की सबसे बड़ी यूनियन बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ के साथ बिलासपुर ट्रक ऑपरेटर सहकारी सभा ने माल ढुलाई के भाड़े में बढ़ोतरी कर दी है.
ट्रक यूनियन ने की किराए में बढ़ोतरी
बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ यूनियन ने छोटे ट्रक पर 90 पैसे प्रति किलोमीटर और बड़े ट्रक के लिए डेढ़ रुपए प्रति किलोमीटर माल ढुलाई भाड़े में बढ़ोतरी कर दी है. शनिवार से ही यह नई दरें लागू भी हो चुकी हैं. वहीं, बीडीटीएस ने फॉर्मूले के मुताबिक, माल धुलाई भाड़े में 1.41 फीसदी बढ़ाया है. बीडीटीएस भी बढ़ा हुआ मालभाड़ा रविवार सुबह से लेना शुरू कर चुकी है. अब सिंगल एक्सल का माल भाड़ा में करीब 15 पैसे और मल्टी एक्सल ट्रक पर 13 पैसे की बढ़ोतरी हो गई है. यह बढ़ोतरी प्रति किलोमीटर प्रति टन के हिसाब से हुई है.
ढीली करनी पड़ेगी अपनी जेब
डीजल पर वैट बढ़ोतरी के बाद अब दिल्ली जाने के लिए दिल्ली में माल ढुलाई करने के लिए 21 हजार 514 रुपए चुकाने होंगे. इससे पहले यह राशि 21 हजार 221 रुपए थी. बनारस के लिए नया किराया 53 हजार 148 रुपए, भोपाल के लिए 57 हजार 428 रुपए, चेन्नई के लिए 1 लाख 18 हजार 405 रुपए और हैदराबाद के लिए 82 हजार 477 रुपए होगा. बढ़ा हुआ माल भाड़ा अब आम आदमी की जेब पर ही बोझ डालेगा.
सेब सीजन के बीच बढ़ोतरी गलत
इसके अलावा प्रदेश में सेब सीजन की भी शुरुआत हो चुकी है. मंडियों में सेब पहुंचने की गति भी बढ़ने वाली है. सेब ढुलाई के लिए भी अब ट्रक और पिकअप का किराया बढ़ना तय है. एक अनुमान के मुताबिक, अब शिमला से चंडीगढ़ जाने के लिए पिक अप में एक हजार रुपए से एक हजार 500 रुपए का अतिरिक्त डीजल लगेगा. इससे सेब बागवानों की जेब ढीली होगी. वहीं, बाजार में भी सेब महंगा मिलेगा. संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान और सह संयोजक संजय चौहान का कहना है कि सरकार ने गलत समय पर डीजल का वैट बढ़ाने का फैसला लिया. यह बागवान पर भारी पड़ने वाला है. प्राकृतिक आपदा से त्रस्त बागवानों पर सरकार ने वैट की दरें बढ़ाकर दोहरा बोझ डाल दिया है. भारी बारिश से फसल खराब हो गई है. सड़कें टूटी पड़ी हैं और संकट के समय में सरकार ने महंगाई की मार कर बागवानों को परेशानी में डाल दिया है. सरकार को तुरंत ही यह फैसला वापस लेना चाहिए.